पुराने आरक्षण के आधार पर स्थानीय चुनाव के लिए याचिका


हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय में पुराने आरक्षण के आधार पर ही स्थानीय निकाय चुनाव करवाने का आग्रह करते हुए याचिका दायर की गई, जिस पर बुधवार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस के. लक्ष्मण सुनवाई करेंगे। मेडचल-मलकाजगिरी ज़िला, मूडूचिंतलापल्ली मंडल के केशवापुरम ग्राम निवासी बुट्टेमगारी माधव रेड्डी, सिद्दिपेट ज़िला, चिन्ना कोंडुरू निवासी जलपल्ली मल्लव्वा ने उच्च न्यायालय में याचिकाएँ दायर की।
याचिका में बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा स्थानीय चुनाव में बीसी वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया, जो संविधान के विरुद्ध है। इसके संबंध में राज्य सरकार आधिकारिक रूप से आदेश जारी करने का भी प्रयास कर रही है।
पंचायतराज अधिनियम की धारा 285ए के अनुसार राज्य सरकार ने आरक्षण का निर्धारण किया, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने पुरानी आरक्षण पद्धति के अनुसार ही चुनाव करवाने के लिए राज्य सरकार को आदेश देने का आग्रह किया। राज्य सरकार धारा 285 को रद्द कर बीसी वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए विधानसभा में जो प्रस्ताव पारित किया, उसे अमान्य करार देने का अदालत से आग्रह किया गया।
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तेलंगाना में स्थानीय चुनाव आरक्षण विवाद जारी
याचिका में बताया गया कि सरकार वर्तमान समय में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी करने का प्रयास कर रही है। इस याचिका में राज्य सरकार के मुख्य सचिव, पंचायतराज विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव, राज्य चुनाव आयोग, मेडचल-मलकाजगिरी, सिद्दिपेट ज़िलाधीश को प्रतिवादी बनाया गया। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से पंचायतराज अधिनियम की धारा 285ए के तहत निर्धारित आरक्षण के आधार पर ही चुनाव करवाने के सरकार को आदेश देने का आग्रह किया।
वर्तमान समय में बीसी वर्ग को 28 प्रतिशत, एससी वर्ग को 15 प्रतिशत और एसटी वर्ग को 9 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार 50 प्रतिशत आरक्षण ही अमल में है। बीसी वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने पर कुल आरक्षण 68 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय में के. कृष्णमूर्ति बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिए गए फैसले के अनुसार आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
इस कारण पंचायतराज अधिनियम की धारा 28ए को हटाकर विधानसभा में बीसी वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। यह प्रस्ताव राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास नहीं पहुँचा है। तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण अमल में लाया जा रहा है, उसी तर्ज पर तेलंगाना में भी 68 प्रतिशत आरक्षण को अमल में लाने का प्रयास किया जा रहा है। तमिलनाडु के आरक्षण का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है और बिहार में आरक्षण में बढ़ोत्तरी के मामले को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। इस कारण याचिकाकर्ताओं ने पुराने आरक्षण के आधार पर ही चुनाव करवाने के आदेश देने का आग्रह किया।
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