अपोलो कैंसर सेंटर ने की यू-आरएबीएस से स्तन कैंसर के उपचार की घोषणा

हैदराबाद-अपोलो कैंसर सेंटर द्वारा स्तन कैंसर के उपचार के लिए यूनिपोर्टल-रोबोटिकअसिस्टेड सर्जरी (यू-आरएबीएस) को प्रयोग करने की घोषणा की गई।
जुबली हिल्स स्थितअपोलो हॉस्पिटल्स में अपोलो कैंसर सेंटर हैदराबाद के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जगदीश्वर गौड़ ने कहा कि इस तकनीकको स्तन कैंसर सर्जरी में एक नए युग की शुरुआत कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्तन कैंसर के उपचार के लिए तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में पहली बार यू-आरएबीएस को प्रयुक्त किया गया। यह अभिनव सर्जिकल तकनीक सटीकता और कॉस्मेटिक लाभों का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करती है। यह न केवल स्तन कैंसर के लिए एक उपचारात्मकदृष्टिकोण प्रदान करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि प्रभावित मरीज सर्जरी के बाद अपनी शारीरिक छवि को बनाए रख सकें। उन्होंने कहा कि यह हमारे रोगियों के मनोवैज्ञानिक कल्याण हेतु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा दा विंची ज़ी की एंडो-रिस्ट विशेषतापारंपरिक लेप्रोस्कोपिक या एंडोस्कोपिक उपकरणों की तुलना में अधिक निपुणता प्रदान करते हुए स्तन क्षेत्र जैसे सीमित स्थानों में सटीक नैदानिक संचालन को सक्षम बनातीहै। प्रारंभिक चरण के स्तन ट्यूमर (3 सेमी से कम) का प्रभावी ढंग से बगल में 3 सेमी के छोटे चीरे के माध्यम से यू-आरएबीएस का उपयोग कर इलाज किया जा सकता है।
अपोलो कैंसर सेंटर,तेलंगाना क्षेत्र के चिकित्सा सेवा निदेशक डॉ. रविंद्र बाबूने कहा कि यू-आरएबीएस स्तन कैंसर के सर्जिकल उपचारमें एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है। यहअत्याधुनिक तथा कम से कम निशान के साथ सटीक सर्जरी करने की तकनीक रोगी देखभाल की दिशा में मील का पत्थर है। अपोलो कैंसर सेंटर सर्जिकल देखभाल मेंउन्नत तकनीकों को एकीकृत करने में अग्रणी रहा है। यहाँ यू-आरएबीएस की उपलब्धता इसी प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। वैश्विक स्तर पर नौ में से एक महिला स्तन कैंसर के खतरे का सामना करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार,वर्ष 2022 में 2.3 मिलियन महिलाओं के स्तन कैंसर का निदान किया गया। ग्लोबोकान-2022 के अनुसार, इस दौरान भारत में स्तन कैंसर के लगभग 1,92,020 मामले दर्ज किए गए। इन आँकड़ों को देखते हुए यू-आरएबीएस एक प्रभावी तकनीकि सिद्ध होगी। 

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