द्रव्य वंदना के साथ की गई भाव वंदना होती है श्रेष्ठ साधना : डॉ. सुमंगलप्रभाजी म.सा

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हैदराबाद, वंदना करने से नरक के बंधनों का क्षय हो जाता है। जब द्रव्य वंदना के साथ भाव वंदना जुड़ती है, तो वह श्रद्धा उत्कृष्ट हो जाती है। उक्त उद्गार सिकंदराबाद स्थित मारुति विधि जैन स्थानक में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के तत्वावधान में साध्वी रत्ना डॉ. सुमंगलप्रभाजी म.सा. ने व्यक्त किये। पूज्यश्री ने कहा कि वंदना से नीच गोत्र का क्षय और उच्च गोत्र का फल प्राप्त करता है, भाव का उपार्जन, नीच गोत्र का क्षय और कर्म क्षय हो जाता है।

म.सा. ने कहा कि मोक्ष प्राप्ति की चाह रखने वाले साधक के लिए मोक्ष की ओर जाने के अनेक आयाम हैं, जिस पर वह चलकर मोक्ष की सीढ़ी पर पहुँच सकते हैं। जो मोक्ष के विविध आयाम की खोज करते हैं, वह आत्मा कल्याणकारी पथ चुनते हैं। अपने पथ का चुनाव करते समय वह अधिक लंबा नहीं, बल्कि छोटे रास्ते से जाने के लिए तैयार रहता है। ज्ञानियों ने कहा है छोटे-छोटे आयाम पर चलते हुए यदि परमात्मा या पूर्व आचार्यों द्वारा बताये गये मार्ग पर चलेंगे, तो मुक्ति मिलेगी और कर्मों की बेड़ियाँ टूट जाएँगी। जिस चाह को लेकर वह राह पर बढ़ा है, वह पूर्ण होगी।

द्रव्य और भाव वंदना से कर्मों का क्षय संभव

म.सा. ने कहा कि विनम्रता से वंदना की बड़ी साधना को जीवन में ग्रहण कर लेते हैं, तो व्याप्त कर्म की बेड़ियाँ कट जाती हैं और नरक की ओर ताला लग जाता है। वंदना से जीवन में कर्मों की बेड़ियाँ टूट जाती हैं। वंदना के दो प्रकार हैं द्रव्य और भाव। द्रव्य वंदना में शब्दों का उच्चारण, ध्वनि होती है। उसके साथ ही वंदना के लिए मुद्रा बनाता है, प्रदक्षिणा करता है। व्यक्ति की द्रव्य वंदना दिखाई देती है। यदि व्यक्ति द्रव्य वंदना के साथ भाव वंदना को नहीं जोड़ता, तो वह सिर्फ दिखावटी द्रव्य वंदना ही होगी।

म.सा. ने कहा कि भाव वंदना में सद्गुरु भले सामने नहीं है, पर भाव से उनके चरणों की वंदना, श्रद्धा, आस्था और निष्ठा से स्थिर होकर मन, वचन और काया के भाव के साथ जोड़ देते हैं, तो वह उत्कृष्ट वंदना बन जाती है और उत्तरोत्तर विकासोन्मुखी होती है। द्रव्य वंदना में सद्गुरु समक्ष होता है, भाव वंदना परोक्ष में की जाती है, जिससे मन मस्तिष्क की शक्ति ऊर्जा पूर्ण बनती है, विचारों की क्षमता जागृत हो जाती है। म.सा. ने कहा कि भाव वंदना ऊर्जा की शक्ति में अभिवृद्धि कर कषाय की वृत्तियाँ को मंद कर देती है। ऐसी भाव वंदना से वीतराग का अभ्यास प्रारंभ हो जाता है।

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भाव वंदना से आत्मिक विकास और धर्म आयोजन

सभा का संचालन करते हुए मंत्री सुशील बोहरा ने बताया कि नवकार महामंत्र का जाप सुचारू रूप से जारी है। अध्यक्ष गौतमचंद गुगलिया ने बताया कि शुक्रवार, 8 अगस्त को मिश्रीमलजी म.सा. की 135वीं जन्म जयंती एवं रूपमुनिजी म.सा. की 99वीं जन्म जयंती सामायिक दिवस के रूप में मनायी जाएगी। सभी से ज्यादा से ज्यादा सामायिक करने का लक्ष्य रखने का आग्रह किया गया। महामंत्री सुरेन्द्र कटारिया ने बताया कि आज सिद्धि तप के छठवें चरण चरण के तृतीय दिवस तप करने वालों के एकासना की व्यवस्था सिकंदराबाद स्थानक भवन में की गई, जिसमे लगभग 125 एकासना हुए।

तप एकासना के लाभार्थी पन्नालाल विमलचंद अलीजार परिवार का संघ की ओर से आभार व्यक्त किया गया। संघपति संपतराज कोठारी ने बताया कि शनिवार, 9 अगस्त को रक्षाबंधन का कार्यक्रम व भाई-बहनों का सह जोड़े जाप श्री गुरु गणेश यात्रा संघ द्वारा आयोजित किया जाएगा। लक्की ड्रॉ पुरस्कार के अंतर्गत डायमंड नोज पिन, चाँदी के सिक्के, बेस्ट थाली सजावट को दो चाँदी के सिक्के तथा दो चाँदी के सिक्के बेस्ट ड्रेसिंग भाई-बहन को दिए जाएँगे। लक्की ड्रॉ के लाभार्थी बिरदीचंद, अनिल कुमार, महावीर चंद, गणेश राज, अभिनंदन, ऋषभ कोठारी परिवार हैं।

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