केंद्र सरकार के प्रस्तावित बीज विधेयक के मसौदे का विरोध किया बीआरएस ने
हैदराबाद, भारतीय राष्ट्र समिति (भारास) के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मंत्री के. तारक रामाराव ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बीज विधेयक के मसौदे का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे किसानों को भारी नुकसान होगा। केटीआर ने जारी बयान में कहा कि विधेयक में नकली बीजों को रोकने के मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं है और न ही नकली बीजों से प्रभावित किसानों को एक निश्चित समय में मुआवजा देने की कोई गारंटी दी गई है। उन्होंने कहा कि विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं, जो कार्पोरेट कमपनियों के पक्ष में बीज की कीमतें तय करते हैं और राज्य सरकार को बीज की कीमतों पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं देते।
केटीआर ने कहा कि इस बिल को तुरंत रोका जाए और किसानों, किसान संघों, कृषि विशेषज्ञों व राजनीतिक पार्टियों के साथ चर्चा करने के बाद केंद्र सरकार आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि यह कानून केवल विक्रेताओं को जिम्मेदार ठहराने के लिए बनाया गया है, ताकि कंपनियों को नकली बीज बनाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सके और केवल आपूर्ति श्रृंखला पर नकली बीज की जिम्मेदारी रखी जा सके। केटीआर ने कहा कि नकली बीजों से संबंधित मामले में राष्ट्रीय स्तर पर संबंधित कंपनियों को ब्लैक लिस्ट में डालने, भारी जुर्माना लगाने और कड़ी जेल की सजा देने जैसे कारकों के लिए इसमें कोई गुंजाइश नहीं रखी गई है।
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नकली बीजों पर कठोर कार्रवाई के लिए विधेयक में कोई प्रावधान नहीं
केटीआर ने कहा कि कई स्थानों पर पारंपरिक कृषि परंपराएँ हैं, जहाँ किसान बीज बनाते और उगाते हैं, परंतु इस तरह के किसानों के समूह के लिए विधेयक में कोई सुरक्षा नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि विदेशों से सीधे उन कंपनियों के लिए आसान नियम हैं, जो बिना किसी बीज परीक्षण के देश में बीज बेच सकती हैं। इससे घरेलू बीज सुरक्षा और बीज संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है।
केटीआर ने कहा कि इस संबंध में राज्यों और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों को कोई प्राथमिकता नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि पूरा विधेयक राज्यों के भीतर कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बीज के मुद्दे को केंद्र के प्रभुत्व की ओर ले जाएगा और राज्यों द्वारा स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार स्वयं के कानून बनाने के मुद्दे को कमजोर करेगा। केटीआर उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्यों और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों को कोई प्राथमिकता नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि पूरा विधेयक राज्यों के भीतर कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बीज के मुद्दे को केंद्र के प्रभुत्व की ओर ले जाएगा और राज्यों द्वारा स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार स्वयं के कानून बनाने के मुद्दे को कमजोर करेगा।
केटीआर ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को सबसे अधिक पारदर्शी और सख्त मानदंडों के साथ बीज विधेयक लाने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनियों के हितों के बजाय किसानों के हितों और कृषि कल्याण के विकास के लिए काम किया जाए। उन्होंने कहा कि जल्द ही बीआरएस की ओर से पूर्व कृषि मंत्री निरंजन रेड्डी व र्प्वू सांसद बी. विनोद कुमार के नेतृत्व में गोलमेज (राउंड टेबल) बैठक बुलाई जाएगी और केंद्र को इस पर अन्य संशोधनों के साथ सुझाव दिए जाएँगे।
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