कांग्रेस ने तेज़ किया जुबली हिल्स चुनाव प्रचार, एक साथ मैदान में उतरे शब्बीर अली और अजहरुद्दीन
हैदराबाद, जुबली हिल्स विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उप चुनाव हेतु जारी चुनाव प्रचार अभियान में कांग्रेस के दो अल्पसंख्यक चेहरे एक साथ उतरे। कैबिनेट के नये मंत्री मुहम्मद अज़हरुद्दीन और सरकार के सलाहकार मुहम्मद अली शब्बीर एक साथ चुनाव मैदान में उतरे और बीआरएस पर ढेर सारे आरोप लगाते हुए अल्पसंख्यक मतदाताओं से कांग्रेस के समर्थन में मतदान की गुहार लगायी।
शब्बीर अली और अजहरुद्दीन ने बुधवार को गांधी भवन में एक साथ एक मंच साझा करते हुए संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। दोनों नेताओं ने भारत राष्ट्र समिति पर तीखा हल्ला बोलते हुए कहा कि बीआरएस नेतृत्व मुसलमानों को गुमराह कर रहा है। अल्पसंख्यक कल्याण की अनदेखी का झूठा आरोप लगाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने 2014 में सत्ता संभालने के चार महीने के भीतर 12 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण देने का वादा किया था।
शब्बीर अली का केसीआर पर हमला
बीआरएस ने दस साल तक शासन किया। न केवल वे 12 प्रतिशत आरक्षण देने में विफल रहे, बल्कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामले की अनदेखी करके मौजूदा 4 प्रतिशत आरक्षण को भी खत्म करने की कोशिश की। शब्बीर अली ने केसीआर पर 2023 में कामारेड्डी से चुनाव लड़कर मुस्लिम प्रतिनिधित्व को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर केसीआर को सचमुच अल्पसंख्यकों की परवाह होती, तो उन्हें भाजपा को चुनौती देने के लिए गोशामहल से चुनाव लड़ना चाहिए था, कामारेड्डी से नहीं।
शब्बीर अली ने कहा कि केसीआर ने विधान परिषद में विपक्ष के नेता का पद छीनने के लिए छह कांग्रेसी एमएलसी को बीआरएस में शामिल करवा लिया। इसी तरह, उन्होंने दलित नेता भट्टी विक्रमार्का को विपक्ष का नेता पद न देने के लिए 11 विधायकों को बीआरएस में शामिल करवा लिया। शब्बीर अली ने वक्फ मुद्दे का उल्लेख करते हुए कहा कि केसीआर ने अतिक्रमित भूमि को बहाल करने और वक्फ बोर्ड को न्यायिक अधिकार देने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया।
इसके बजाय, उन्होंने 2017 में वक्फ रिकॉर्ड सेक्शन को सील कर दिया। उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने युवा भारत एकीकृत आवासीय विद्यालय पहल शुरू की है, जिसके तहत 25 एकड़ में 76 नए स्कूलों के लिए 225 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और कुल 119 छात्रावासों का लक्ष्य रखा गया है। पहली बार अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है।
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कांग्रेस की एकजुटता और विकास पर फोकस
शब्बीर अली ने कहा कि रेवंत रेड्डी समानता और सशक्तिकरण में विश्वास करते हैं, तुष्टिकरण में नहीं। उनकी सरकार इंदिराम्मा आवास से लेकर महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा तक सभी कल्याणकारी योजनाओं में कोई धार्मिक पूर्वाग्रह नहीं रखती। उन्हें मंत्री पद न दिये जाने से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में शब्बीर ने कहा कि हमारी पार्टी में भूमिकाएँ बदल सकती हैं, लेकिन न्याय के प्रति प्रतिबद्धता हमेशा बनी रहती है।
मंत्री मोहम्मद अजहरुद्दीन ने विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस जुबली हिल्स सीट पर भारी बहुमत से जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि बीआरएस कांग्रेस पर झूठे आरोप लगा रही है, ताकि मुसलमानों का ध्यान उसकी पिछली नाकामियों से भटकाया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि उपचुनाव जीतने के लिए सभी कांग्रेस नेता एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि कई मुद्दे लंबित हैं और उन्हें सुलझाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
मुस्लिम छात्रों को दो साल से छात्रवृत्ति नहीं मिली है, उसके लिए प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हैदराबाद क्रिकेट के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है, इसलिए उन पर उंगली उठाना और उसके बारे में बात करना ठीक नहीं है। दूसरी ओर बीआरएस पार्टी ने 10 सालों में जुबली हिल्स में कुछ नहीं किया। चुनाव में बीआरएस और भाजपा मिलकर काम कर रहे हैं।
मतदान प्रतिशत बढ़ाना कड़ी चुनौती
बली हिल्स विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनावों में तीनों प्रमुख पार्टियाँ जोर-शोर से चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। दूसरी ओर चुनाव तंत्र भी जागरूकता के लिए लगातार अभियान चला रहा है। ऐसे में यक्ष प्रश्न यह है कि क्या इस बार के चुनावों में मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा या फिर पिछली बार से भी कम होगा। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार लोकसभा चुनावों में जुबली हिल्स में मतदान 45.59 प्रतिशत दर्ज किया गया था, जबकि 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में यह 39.83 प्रतिशत रहा है।
उससे पूर्व के चुनावों की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनावों में 39.83 प्रतिशत, 2018 के विधानसभा चुनावों में 45.59 प्रतिशत और 2014 में 50.14 प्रतिशत रहा है। इन आंकड़ों पर नज़र डालें तो स्पष्ट है कि तेलंगाना बनने बाद केवल पहले चुनावों में ही मतदान 50 प्रतिशत तक पहुँचा था। उल्लेखनीय है कि इस बार सर्वाधिक 58 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इससे पूर्व 2024 के लोकसभा चुनावों में 45 प्रत्याशी थे। उससे पूर्व के चुनावों में 18 से 28 तक प्रत्याशियों की संख्या रही है। इस बार अधिक प्रत्याशियों का होना भी मुद्दा बना है। मतदान बढ़ाने की कवायद में ही जिला चुनाव अधिकारी बार-बार स्वीप कार्यक्रम के अंतर्गत जागरूकता अभियान चला रहे हैं। आज भी उन्होंने सूचित किया है कि एपिक के अलावा 12 अन्य फोटो सहित दस्तावेज़ों के साथ मतदान अधिकार का उपयोग किया जा सकता है।
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