शब्बीर शाह की हिरासत पर न्यायालय ने मांगी जानकारी

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नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से कहा कि वह आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में आरोपी कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की हिरासत से संबंधित अन्य आपराधिक मामलों में विवरण पेश करे।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने बुधवार को कहा कि शाह के खिलाफ संभवत 24 मामले हैं। पीठ शाह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शाह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 12 जून के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसे आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

एनआईए की ओर से पेश वकील ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने चार सितंबर को शाह की याचिका पर नोटिस जारी किया था और एजेंसी को अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए कुछ समय चाहिए। पीठ ने एनआईए को हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया। पीठ ने कहा कि कृपया हमें अन्य मामलों में भी हिरासत की स्थिति बताएं। वह संभवत 24 मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है।

कोर्ट ने एनआईए से मांगा जवाब, अगली सुनवाई 31 अक्तूबर को

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 31 अक्तूबर तय की। शीर्ष अदालत ने चार सितंबर को इस मामले में शब्बीर अहमद शाह को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। पीठ ने हालांकि एनआईए को नोटिस जारी कर उसे दो सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा था। इससे पूर्व उच्च न्यायालय ने इस मामले में उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उसके द्वारा इसी तरह की गैरकानूनी गतिविधियां करने और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।शब्बीर अहमद शाह को एनआईए ने चार जून, 2019 को गिरफ्तार किया था।

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एनआईए ने 2017 में पथराव, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचकर व्यवधान पैदा करने के लिए धन जुटाने और एकत्र करने की साजिश के आरोप में 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। शाह पर आरोप है कि उसने आम लोगों को जम्मू कश्मीर के अलगाव के समर्थन में नारे लगाने के लिए उकसाकर, मारे गए आतंकवादियों या चरमपंथियों के परिवारों को शहीद बताकर श्रद्धांजलि अर्पित करके, हवाला लेनदेन के माध्यम से धन प्राप्त करके और नियंत्रण रेखा व्यापार के माध्यम से धन जुटाकर जम्मू कश्मीर में अलगाववादी या चरमपंथी आंदोलन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई, जिसका कथित तौर पर जम्मू कश्मीर में विध्वंसक और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया गया।

शब्बीर शाह की जमानत याचिका खारिज, 24 मामलों की जांच

उच्च न्यायालय ने कहा था कि संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन यह सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता या किसी अपराध के लिए उकसाने जैसे कदमों पर उचित प्रतिबंध भी लगाता है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस अधिकार का दुरुपयोग रैलियां आयोजित करने की आड़ में नहीं किया जा सकता, जिसमें कोई व्यक्ति भड़काऊ भाषण देता है या जनता को देश के हित और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली गैरकानूनी गतिविधियों के लिए उकसाता है। अदालत ने अधीनस्थ अदालत के सात जुलाई, 2023 के उस आदेश के खिलाफ शब्बीर अहमद शाह की अपील खारिज कर दी थी जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

यह भी पढ़े: आतंकी वित्तपोषण मामला : शब्बीर शाह की जमानत याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी

अदालत ने कहा था कि वह गैरकानूनी संगठन जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (जेकेडीपीएफ) का अध्यक्ष है। उच्च न्यायालय ने शाह के खिलाफ लंबित 24 मामलों की विस्तृत जानकारी देने वाली एक तालिका का विश्लेषण किया था, जिसमें इसी तरह के कई आपराधिक मामलों में उसकी संलिप्तता और जम्मू कश्मीर को भारत संघ से अलग करने की साजिश रचने के संकेत थे। (भाषा)

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