भूदान भूमि पर लगी रोक हटाने की मांग खारिज

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हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने आईएएस अधिकारी नवीन मित्तल, विकास राज की बेटी ऐश्वर्या राज, आईपीएस विश्व प्रसाद के बेटे वरुण और ईआईपीएल कंस्ट्रक्शन्स सहित अन्य द्वारा दायर अंतरिम याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें सर्वे संख्या 181, 194 और 195 में भूदान भूमि पर लगी रोक हटाने की मांग की गई थी। उच्च न्यायालय ने भूदान भूमि में लेन-देन पर रोक लगाने वाले 24 अप्रैल को जारी स्थगनादेश को हटाने की मांग वाली उनकी अंतरिम याचिकाओं को खारिज कर दिया।

इसके अलावा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इन जमीनों के मामले की जांच के लिए एक जांच आयोग गठित करने और पट्टा पासबुक और म्यूटेशन आदेशों की प्रतियां उपलब्ध करवाने की मांग वाली दो अन्य याचिकाओं को खारिज करने का आदेश जारी किया। इसके पूर्व न्यायमूर्ति सी.वी. भास्कर रेड्डी, जिन्होंने नागरम में सर्वेक्षण संख्या 181, 182, 194, 195 में भूदान और गैरान भूमि से संबंधित लेन-देन की सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की मांग करने वाले बिरला मल्लेश नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर अंतरिम आदेश जारी किए थे कि उन जमीनों पर लेनदेन नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें निषिद्ध सूची में शामिल किया जाना चाहिए।

अधिकारियों ने इन आदेशों को हटाने की मांग करते हुए अंतरिम याचिकाएं दायर कीं। गांव के वाद्य रामुलु तथा बिरला मल्लेश नामक व्यक्तियों ने भूदान भूमि के लेन-देन की जांच आयोग की नियुक्ति और पासबुक और म्यूटेशन कार्यवाही की प्रतियां प्रदान करने की मांग करते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। इन सभी पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण ने शुक्रवार को आदेश जारी किए।

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नागरम भूदान भूमि याचिकाएँ उच्च न्यायालय में खारिज

पासबुक और अन्य दस्तावेजों को जारी करने के लिए मल्लेश की याचिका को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि वह प्रमाणित प्रतियों के लिए सीसीएलए और अन्य अधिकारियों के समक्ष आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने नागरम गाँव के वाद्य रामुलु की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने दावा किया था कि उनके पिता द्वारा दान-पत्र के माध्यम से प्राप्त 10.17 एकड़ ज़मीन पर उनका अधिकार है और इसलिए उन्होंने एक जाँच आयोग के गठन की माँग की थी। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि कानून जाँच आयोग के गठन की अनुमति नहीं देता। उन्होंने 28 निजी व्यक्तियों द्वारा दायर की गई उन याचिकाओं को स्वीकार कर लिया, जिनमें दावा किया गया था कि उन्होंने ये ज़मीनें खरीदी थीं।

न्यायाधीश ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस बात के प्रमाण हैं कि नागारम की ज़मीनों के संबंध में निजी व्यक्तियों के साथ-साथ प्रमुख पदों पर आसीन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर भी आरोप हैं। इसके अलावा रंगा रेड्डी ज़िले के पूर्व कलेक्टर अमॉय कुमार पर भी गंभीर आरोप हैं। उन्होंने कहा कि याचिका की सुनवाई में उनके कार्यकाल के दौरान अनियमितताओं के गंभीर आरोपों की जाँच की जाएगी। उन्होंने कहा कि हालाँकि कुछ लोगों ने ज़मीनों पर लेन-देन पर रोक लगाने और उन्हें प्रतिबंधित ज़मीनों की सूची में शामिल करने वाले पहले के अंतरिम आदेशों के ख़िल़ाफ अपील की थी, लेकिन खंडपीठ ने इसमें हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसलिए, अधिकारियों द्वारा अंतरिम आदेशों को हटाने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया और उनके द्वारा दायर अंतरिम याचिकाएँ खारिज कर दी गईं।

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