पश्चाताप से पापों का नाश : सुयशाजी

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हैदराबाद, श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणोपासक संघ के तत्वावधान में रामकोट स्थित श्री गुरु गणेश जैन भवन की कीमती बरमेचा हॉल में साध्वी सुधाकंवरजी म.सा. आदि ठाणा के सान्निध्य में चातुर्मास के अंतिम चरण में हैं। शुक्रवार को भगवान महावीर की भाव तीर्थ यात्रा को आगे बढ़ाते हुए साध्वी सुयशाजी ने अर्जुन माली द्वारा पश्चाताप कर अपने पापों से मुक्ति पाने का प्रसंग सुनाया।

यहाँ रतनचंद कटारिया द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, साध्वीजी ने कहा कि परमात्मा के राजगृही में आगमन पर सेठ सुदर्शन के मन में उनके दर्शन के भाव उत्पन्न हुए। किन्तु उस क्षेत्र में अर्जुन माली नामक हत्यारे का आतंक था। खतरे को लेकर सेठ सुदर्शन को काफी समझाया गया, किन्तु धर्म के प्रति अहोभाव के कारण वह परमात्मा के दर्शन करने से पीछे नहीं हटे।

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पश्चाताप से अर्जुन माली ने पाया आत्ममोक्ष

परमात्मा के प्रति अटूट श्रद्धा रखने वालों के मार्ग में आने वाला हर संकट दूर हो जाता है। सुदर्शन सेठ के साथ भी यही हुआ। अर्जुन माली के मन में पश्चाताप का भाव जागा। उसने परमात्मा के पास जाकर संयम अंगीकार किया। अर्जुन माली ने छह महीनों में की गई हत्याओं के पाप को छह महीने तप करके समाप्त कर दिया। इस प्रकार अर्जुन माली जीवन में परिवर्तन लाकर सिद्ध बुद्ध मुक्त हो गया।

साध्वीजी ने आगे कहा कि भोग विलास का जीवन जी रहे नंद मणियार ने परमात्मा से प्रतिबोध मिलने के बाद मिथ्यात्व का त्याग कर दिया और सम्यक्त व अपना लिया। साध्वीजी ने कहा कि व्यक्ति हर किसी के भीतर दोष भोगने में लगा रहता है, लेकिन खुद के दोषों को नजरअंदाज करता है। म.सा. ने कहा कि जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। महामंत्री राजेश सुराणा ने आवश्यक सूचनाएँ दी। साध्वीवृंद के दर्शन हेतु कोटा, राजस्थान से इंदरचंद जैन के नेतृत्व में 15 लोगों का संघ उपस्थित हुआ। मुकुन्द धोका के धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रवचन सभा संपन्न हुआ।

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