परिवर्तन से मत डरिए, उसे अपनाइए

हम सभी इस बात से भली-भांति वाकिफ हैं कि आज विश्व के हालात इस कदर अप्रत्याशित हो गए हैं कि कहीं भी, कभी भी, किसी को भी कुछ भी हो सकता है। तभी तो कहा जाता है- समय कब है ठहरा किसी के लिए? ये रुकता नहीं आदमी के लिए। वर्तमान में हम अनिश्चितता और निरंतर पुनर्मूल्यांकन के दौर में जी रहे हैं। भविष्य के लिए नई रणनीतियों की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे हालात में यह कहना गलत नहीं होगा कि हम परिवर्तन काल की स्थिति में जी रहे हैं।
आज सदियों पुराने पारिवारिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों में बड़ा परिवर्तन दिख रहा है। कुछ हद तक उनकी अनदेखी भी की जा रही है। तेजी से बदलते परिवेश में लोगों का आकर्षण अब स्वयं प्रबंधन एवं संकट प्रबंधन की ओर बढ़ता जा रहा है, क्योंकि बाह्य वातावरण का प्रबंधन करना अधिकांश लोगों के लिए शायद संभव है, इसीलिए ज्यादा से ज्यादा जोर अब आंतरिक वातावरण के प्रबंधन पर दिया जा रहा है।
21वीं सदी में सफलता की कुंजी है परिवर्तन में निपुणता
कहते हैं, जीवन नाम है- परिवर्तन का। अत: परिवर्तन हो तो जीवन ही क्या? कहने का अर्थ है कि हम मनुष्यों को सदा सुखी व आनंदित रहने के लिए परिवर्तन को सहर्ष स्वीकारने की कला धारण करनी चाहिए, किन्तु ऐसा देखा गया है कि अधिकांश लोग परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए अनुकूलनीय नहीं होते हैं, क्योंकि वे भीतर से कोई न कोई असुरक्षा की भावना से ग्रस्त होते हैं।
इससे निजात पाने के लिए हमें एक साहसिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है ताकि हम परिवर्तन का सफल नेतृत्व करके अन्यों के भीतर भी उसे लाने की प्रक्रिया आरंभ कर सकें। आज सभी के समक्ष यह जटिल प्रश्न है कि क्या हम 21वीं सदी में जीवित रहने के लिए तैयार हैं? आज की तारीख में परिवर्तन ही असली खेल का नाम हैं और जिसने इस खेल में निपुणता हासिल कर ली, वह अपने जीवन में असीमित प्रगति करता जाएगा।

परिवर्तन को स्वीकारना एक समझदार व्यक्ति की पहचान
इसलिए हमें यह स्वर्ण सिद्धांत का स्मरण रहना चाहिए कि जिसने समय की कीमत है समझी, समय ने भी उसकी सदा लाज रखी! सही समय की परख करके परिवर्तन करना, एक समझदार और सुलझे व्यक्ति की पहचान है। याद रखें! एक अत्यंत प्रतिस्पर्धी दुनिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए कोई गुंजाईश नहीं होती, इसलिए प्रभावी रूप से परिवर्तन का प्रबंधन न कर पाने की काफी बड़ी कीमत हमें चुकानी पड़ सकती है।
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अत: जो लोग परिवर्तन का प्रभावी प्रबंधन नहीं कर पाते हैं, वे न सिर्फ अपने काम के मामले में अपितु समाज में अपनी सार्थक भागीदारी के मामले में भी बेमानी हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में जीवित रहने के लिए एक ही रास्ता है और वह है- पूरे मन से परिवर्तन की प्रक्रिया में सम्मिलित होना और उसका आनंद उठाना। तो आइये, हम सभी परिवर्तन प्रबंधन की श्रेष्ठ कला को धारण करें और अनिश्चितताओं के बीच खुशी एवं शांति से भरा जीवन व्यतीत करें।
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