मंथन में पूंजीवाद और मानवाधिकार पर बात करेंगी अर्थशास्त्री जयती घोष

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हैदराबाद, अर्थशास्त्री जयती घोष हैदराबाद की संस्था मंथन की भाषण माला में आगामी 14 मार्च को पूंजीवाद और मानवाधिकार विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगी।मंथन के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जयती घोषणा शुक्रवार 14 मार्च को शाम 6.30 बजे विद्यारण्य स्कूल में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में “अशांत पूंजीवाद के युग में मानवाधिकार: भारत में विकल्प” विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत करेंगी।

जयती घोष का व्याख्यान: पूंजीवाद और मानवाधिकार पर चर्चा

यह व्याख्यान विजय नंबिसन व्याख्यान के तहत होगा। मंथन के अनुसार, वैश्विक पूंजीवाद के हालिया गतिविधियों ने अत्यधिक असमानताओं और धन और शक्ति की एकाग्रता को जन्म दिया है, जिससे आजीविका की नाजुकता और भेद्यता बढ़ गई है।

जलवायु परिवर्तन में तेजी आई है और गंभीर पारिस्थितिक क्षति हुई है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और राजनीतिक तनाव, ध्रुवीकरण और अस्थिरता जैसी परीस्थितियाँ पैदा हुई हैं। भारत ऐसी प्रवृत्तियों का एक प्रमुख उदाहरण है। बहुत सारे प्रश्न हैं, जैसे, क्या अभी भी ऐसी अर्थव्यवस्था की बात करना संभव है जो मानव अधिकारों को प्रदान करती है?

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व्याख्यान का उद्देश्य वर्तमान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाधाओं के भीतर मानवाधिकार अर्थव्यवस्था के लिए संभावित मार्गों की पड़ताल करना है। प्रो. जयती घोष एमहर्स्ट मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं। इससे पहले उन्होंने लगभग 35 वर्षों तक जेएनयू में पढ़ाया है।

उन्होंने 20 किताबें और 200 से अधिक लेख लिखे हैं और सरकारों और आईएलओ और यूएन जैसे वैश्विक संगठनों की सलाहकार रही हैं। उन्हें भारत में सामाजिक विज्ञान में विशिष्ट योगदान के लिए 2015 आदिशेशैया पुरस्कार तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का डिसेंट वर्क रिसर्च पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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