पीएम समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते समय पूरे केरल को अंधेरे में रखा गया : सतीशन

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कोच्चि, केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने शनिवार को कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पीएम श्री स्कूल समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते समय न केवल अपने सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को, बल्कि पूरे केरल को अंधेरे में रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके पीछे षड्यंत्र है।

कांग्रेस नेता सतीशन ने दावा किया कि 10 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट करने के बाद, 16 अक्तूबर को प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, लेकिन 22 अक्तूबर को राज्य मंत्रिमंडल की बैक में उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि विजयन को यह बताना चाहिए कि केंद्र के किस कथित दबाव या ब्लैकमेलिंग ने उन्हें इतने गुप्त तरीके से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया।

मुख्यमंत्री के गुप्त हस्ताक्षर पर विपक्ष का सवाल

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने दावा किया, समझौता ज्ञापन पर सहयोगियों या राज्य मंत्रिमंडल को बिना कोई जानकारी दिए गुप्त रूप से हस्ताक्षर किए गए। यहाँ तक कि माकपा महासचिव एम.ए. बेबी और एलडीएफ संयोजक टी.पी. रामकृष्णन को भी इसकी जानकारी नहीं थी। सतीशन ने कहा कि यह सब दर्शाता है कि मुख्यमंत्री और राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी अपने सहयोगियों को धोखा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिवनकुट्टी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के पीछे विभाग में धन की कमी और वित्तीय संकट को कारण बताया। उन्होंने कहा कि लेकिन मुख्यमंत्री और राज्य के वित्त मंत्री ऐसा नहीं कह रहे हैं।

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वे दावा कर रहे हैं कि राज्य में कोई वित्तीय संकट नहीं है। वे सभी विरोधाभासी बयान दे रहे हैं। एलडीएफ के भीतर कोई परामर्श, चर्चा या संवाद नहीं हुआ है। सतीशन ने कहा कि मुख्यमंत्री के मनमाने फैसले सभी पर थोपे जा रहे हैं और संघ परिवार की ताकतें उन पर दबाव डाल रही हैं। उन्होंने ऐसी परिस्थितियों में राज्य मंत्रिमंडल की आवश्यकता पर भी सवाल उाया और कहा कि भाकपा एवं अन्य सहयोगी दलों के मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए।

भाकपा-एलडीएफ के रिश्ते पर विवाद के बीच स्थिरता का भरोसा

उनकी यह तीखी टिप्पणी भाकपा के प्रदेश सचिव बिनय विश्वम के इस बयान के एक दिन बाद आई है कि उनकी पार्टी और एलडीएफ के अन्य घटकों को इस फैसले के बारे में अंधेरे में रखा गया था। इस बीच, वरिष्ठ माकपा नेता ए.के. बालन ने विश्वम की टिप्पणी को उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण बताकर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि एक दिन पहले की गई उनकी तीखी टिप्पणियों का कोई आधार है। मैं इसे उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण मानता हूँ। मुझे विश्वास है कि वह खुद ही इसे सुधार लेंगे। बालन ने कहा कि माकपा-भाकपा का रिश्ता ऐसे नहीं टूट सकता।

(कांग्रेस नीत विपक्षी गबंधन) यूडीएफ ने भाकपा को उसी दिन अपने मोर्चे में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, जिस दिन इस वामपंथी दल ने पीएम श्री योजना पर अपने विचार व्यक्त किए थे। इसका मतलब है कि यूडीएफ जानता है कि वह एलडीएफ के किसी घटक दल की मदद के बिना सत्ता में नहीं आ सकता। उन्होंने कहा कि निश्चिंत रहें, न तो भाकपा और न ही एलडीएफ का कोई अन्य घटक दल गबंधन छोड़ने वाला है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने भी कहा कि भाकपा एलडीएफ नहीं छोड़ने जा रही। (भाषा)

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