फिक्की का दो दिवसीय भारतीय जलवायु नीति और व्यापार सम्मेलन आरंभ


हैदराबाद, जलवायु लक्ष्यों पर सहयोग को मजबूत करने के लिए भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा आयोजित दो दिवसीय 15वां भारतीय जलवायु नीति एवं व्यवसाय सम्मेलन आज से बेगमपेट स्थित ताज वीवांता में आरंभ हुआ। भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा जापान के पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में जलवायु नीति को भारत की शुद्ध शून्य और विकास प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करते हुए विचार-विमर्श करने हेतु नीति निर्माता, उद्योग प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ तथा अंतरराष्ट्रीय हितधारक एक मंच पर एकत्रित हुए हैं।
अवसर पर जानकारी देते हुए बताया गया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य कार्बन बाज़ार, जलवायु वित्त, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन, जलवायु प्रौद्योगिकी और निम्न कार्बन औद्योगिक विकास के मार्ग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए उच्चस्तरीय मंच प्रदान करना है। अवसर पर आयोजित पैनल परिचर्चाओं में विभिन्न हितधारकों तथा वैश्विक जलवायु विशेषज्ञों ने भाग लेते हुए भारत की जलवायु महत्वाकांक्षाओं के नए आयाम प्रदान करने से जुड़े विभिन्न विषयों पर विचार साझा किए।
फिक्की के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन समिति के सह-अध्यक्ष डॉ. रामबाबू परवस्तु ने अपने संबोधन में क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते के बीच के वर्षों में संयुक्त संचार तंत्र (जेसीएम) की शुरुआत करके जापान के नेतफत्व की सराहना की। अवसर पर उन्होंने जापान का आभार व्यक्त किया, जिसने भारत के लिए दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और स्वीडन जैसे अन्य देशों के साथ इसी तरह के द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
डॉ. रामबाबू ने कहा कि भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) महत्वाकांक्षी हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से पूरा किया जाना चाहिए, लेकिन उच्च लागत वाली परियोजनाओं की व्यवहार्यता की खाई को पाटने तथा विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी को आकर्षित करने के लिए अनुच्छेद 6 जैसे तंत्र महत्वपूर्ण हैं।

फिक्की सम्मेलन में जलवायु नवाचार और निवेश चर्चा
जापान के पर्यावरण मंत्रालय के वैश्विक पर्यावरण ब्यूरो में जेसीएम परियोजनाओं और अंतरराष्ट्रीय बाजार तंत्र के प्रधान प्रबंधक कोहेई किनामे ने आर्थिक विकास और जलवायु कार्रवाई को एक साथ आगे बढ़ाने से जुड़े विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन नए व्यवसाय और निवेश के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। जेसीएम पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत कार्बन बाज़ार उपकरण है, जहाँ जापान साझेदार देशों के साथ डीकार्बोनाइज़ेशन परियोजनाओं पर सहयोग करता है।
इन परियोजनाओं में निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण शामिल हैं। ये त्रण उत्पन्न करते हैं जिनका उपयोग प्रत्येक देश के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। फिक्की की तेलंगाना राज्य परिषद के सह-अध्यक्ष मीला जयदेव ने सतत विकास को बढ़ावा देने और भारत को जलवायु परिवर्तन में अग्रणी बनाने के लिए व्यावसायिक नवाचार को नीतिगत ढाँचों के साथ जोड़ने में सम्मेलन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
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अवसर पर उन्होंने प्रतिभागियों से भारत के लिए एक लचीले और टिकाऊ भविष्य के निर्माण हेतु प्रभावी विचारों तथा योजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया। दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों में पेरिस समझौते और नेट ज़ीरो प्रतिबद्धताओं के तहत भारत के रोडमैप, अनुच्छेद 6 तंत्रों और अंतरराष्ट्रीय कार्बन बाजारों में अवसर, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु नवाचार को गति देने में वित्त और निवेश की भूमिका तथा जलवायु लचीलापन, सतत आपूर्ति श्रफंखलाओं और प्रौद्योगिकी अपनाने पर व्यावसायिक दृष्टिकोण आदि विषयों पर चर्चा-परिचर्चा की जाएगी।
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