हरीश राव ने विधानसभा चलाने के नियमों के उल्लंघन को लेकर सभापति को लिखा पत्र
हैदराबाद, भारत राष्ट्र समिति (भारास) विधायक व पूर्व मंत्री टी. हरीश राव ने बीआरएस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों को अयोग्य ठहराने से संबंधित याचिकाओं का तुरंत निस्तारण करने तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार तुरंत निर्णय लेने की मांग की।
विधायक व पूर्व मंत्री टी. हरीश राव ने तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में पद्भार संभालने के दो साल पूरे होने पर सभापति गड्डम प्रसाद कुमार को बधाई दी और दो वर्षों के दौरान विधानसभा के संचालन में हुई विफलताओं और नियमों के उल्लंघन पर खेद व्यक्त करते हुए खुला पत्र लिखा। उन्होंने विधानसभा की छवि और संवैधानिक भावना की रक्षा करने में की जा रही गलतियों को पत्र में उजागर किया। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि दलबदलू विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किया जाना अत्यंत चिंताजनक है।
विधानसभा में कम दिनों तक कामकाज, उपसभापति की नियुक्ति लंबित
विधानसभा के (दल-बदलू विरोधी) नियम-1986, विशेष रूप से नियम 3 से 7 के अनुसार दलबदलुओं को नोटिस जारी करके तेज गति से निर्णय लिया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं करना शोचनीय है और संविधान के अनुच्छेद 191 (2) के बिल्कुल विरुद्ध है। उन्होंने मणिपुर से संबंधित कैशम मेघचंद्र सिंह मामले में उच्चतम न्यायालय के पिछले फैसले की याद भी दिलाई और कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अध्यक्ष को दलबदलुओं से संबंधित याचिकाओं पर निर्धारित समय सीमा के भीतर निर्णय लेने की चेतावनी दी थी परंतु चिंता की बात है कि सुप्रीम फैसले को नजरअंदाज किया जा रहा है।
ऐसा करना संवैधानिक मूल्यों और लोकतंत्र की भावना को ठेस पहुंचाने जैसा है। उन्होंने विधानसभा में कामकाज के दिनों में भारी कमी पर नाराजगी व्यक्त की और वर्ष में कम से कम 30 दिनों के लिए विधानसभा आयोजित करने व विधानसभा के उपसभापति की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।
हरीश राव ने कहा कि विधानसभा में नियम 8 के अनुसार उप सभापति का चुनाव अनिवार्य है परंतु अब तक उप सभापति की नियुक्त नहीं करना नियमों का उल्लंघन ही है। उन्होंने कहा कि चूंकि विधानसभा सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करने वाली विशेषाधिकार समिति (प्रिविलेज कमेटी) के अध्यक्ष डिप्युटी स्पीकर होते हैं इसलिए यह पद रिक्त होने से समिति पूरी तरह से पंगु हो चुकी है।
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पूरक प्रश्नों के अवसर अस्वीकार करना नियम 50 का उल्लंघन
हरीश राव ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, सदस्यों के अधिकारों के उल्लंघन की कई शिकायतें लंबित पड़ी हैं और यह नियम 256 और 257 के विरुद्ध है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि यह बहुत दुःख की बात है कि पिछले दो वर्षों से विधानसभा में सदन समितियों (हाउज कमेटियों) का गठन भी नहीं किया गया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि विपक्ष के लिए सदन में जनसमस्याओं पर सरकार को घेरने व लताड़ने के लिए प्रश्नकाल और शून्यकाल होता है इनके संचालन में भी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
विशेष रूप से नियम 38 से 52 के साथ-साथ नियम 53 से 62 के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है। हरीश राव ने विधानसभा को न्यूनतम 30 दिनों तक संचालित करने की मांग करते हुए कहा कि हालांकि नियम 12 के तहत सदन की कार्यवाही चाहे जितने दिनों तक संचालित की जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि सदन को बिना कोई उचित कारण बताए अकारण बार-बार स्थगित करना सदन के तय समय से संबंधित नियम 13 के साथ ही सदन की स्थगन प्रथाओं से संबंधित नियम 16 के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि किसी प्रश्न के संबंध में गहराई से चर्चा करने और सरकार से स्पष्टीकरण पाने सदस्यों के लिए पूरक प्रश्नों के अवसर को अस्वीकार करना और घटाना नियम 50 के मुख्य उद्देश्य का उल्लंघन है। ऐसा बार-बार किया जा रहा है।
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