गुरु पर रखें पूर्ण श्रद्धा और विश्वास : सद्गुरु रमेशजी

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हैदराबाद, जूम सत्संग को संबोधित करते हुए सद्गुरु रमेशजी ने कहा कि हमारी बुद्धि सीमित है और 360 डिग्री के दृष्टिकोण से चीजों को नहीं देख सकती। इसलिए हमें केवल पुरुषार्थ करना चाहिए। यदि हमारी इच्छा या कामना के अनुरूप फल न मिले, तो उसमें भी अपना कल्याण समझना चाहिए, क्योंकि परमात्मा सर्व कल्याणकारी है। गुरु दर्शन या आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ाने की इच्छा को पूरा करने के लिए हमें अपनी इच्छा को ब्रह्मांड में भेज देना चाहिए और यह प्रार्थना करनी चाहिए कि जब मेरी इस इच्छा का पूरा होना, सबके लिए कल्याणकारी हो तब पूरी हो।

ऐसी प्रार्थना से जब ब्रह्मांडीय शक्तियाँ उचित समझेंगी, तब आपकी इच्छा पूरी होगी, क्योंकि ब्रह्मांड में कुछ भी असंभव नहीं है। इसके साथ हमें अपनी ज्यादा बुद्धि नहीं लगानी चाहिए कि परिस्थितियाँ तो विपरीत हैं, यह सब कैसे होगा? ब्रह्मांड पर या गुरु पर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।

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आध्यात्मिक जीवन में सामंजस्य और आनंद का मार्ग

जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, रमेशजी ने कहा कि पारिवारिक सामंजस्य बनाए रखने के लिए पति और पत्नी अपनी-अपनी प्रकृति के अनुसार आध्यात्मिक मार्ग पर चल सकते हैं। एक-दूसरे को अपनी तरह बनाने का प्रयास न करें, लेकिन आपस में प्रशंसा, आभार और क्षमा करते हुए आगे बढ़ें। अपने तरीके दूसरों पर थोपकर हावी होने का प्रयास न करें, इससे संबंधों में नकारात्मकता आएगी और आध्यात्मिक प्रगति नहीं होगी।

रमेशजी ने हर कार्य करते हुए आनंद का अनुभव कैसे करें, इसके समाधान में कहा कि जब तक हम किसी व्यक्ति के लिए कार्य करते हैं, तब तक हम उस व्यक्ति के गुण-दोष को अपने मन में रखते हैं, इसलिए काम व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि उसमें छुपे परमात्मा के लिए कर रहे हो यह भाव रखें। जब कभी हम सामने वाले को तहे दिल से क्षमा नहीं कर पाते, तो ऐसी स्थिति में हमें उसके प्रति आभार प्रकट करना चाहिए। साथ ही प्रयास यह करना चाहिए कि भविष्य में हमें क्षमा याचना की आवश्यकता ना हो, यानी व्यवहार में हमेशा सचेत और सतर्क रहें।

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