तेलंगाना विधानसभा में कल से फिर शुरू होगी दलबदल मामले की सुनवाई
हैदराबाद, बीआरएस से सत्तारूढ़ कांग्रेस में दलबदल के आरोपों का सामना कर रहे विधायकों की अयोग्यता के लिए दायर याचिकाओं पर 6 नवंबर से विधानसभा में जाँच प्रक्रिया फिर से शुरू होगी। तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष गड्डम प्रसाद कुमार संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत मामले की सुनवाई 6, 7, 12 और 13 नवंबर को करेंगे। सूत्रों के अनुसार, 6 नवंबर से शुरू होने वाली सुनवाई में चार विधायकों डॉ. संजय कुमार (जगतियाल), पोचारम श्रीनिवास रेड्डी (बांसवाड़ा), तेलम वेंकटराव (भद्राचलम) और अरिकापुडी गांधी (शेरिलिंगमपल्ली) की अयोग्यता की याचिकाओं पर पक्ष-विपक्ष को सुना जाएगा।
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष चार दलबदलू विधायकों तथा याचिकाकर्ताओं के वकीलों की जिरह सुनेंगे। सुनवाई बंद कमरे में प्रतिदिन सुबह 11 बजे शुरू होगी और शाम 4 बजे तक जारी रहेगी। उल्लेखनीय है कि चार विधायकों के पहले बैच की सुनवाई 29 सितंबर, 1 अत्तूबर और 24 अत्तूबर को हुई थी। पिछली सुनवाई टी. प्रकाश गौड़ (राजेंद्रनगर), काले यादैया (चेवेल्ला), गुडेम महिपाल रेड्डी (पटनचेरु) और बंडला कृष्णमोहन रेड्डी (जोगुलम्बा गडवाल) की अयोग्यता याचिकाओं से संबंधित थी। तेलंगाना विधानसभा के इतिहास में यह पहली बार है, जब अध्यक्ष अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं।
सुनवाई के इस कार्यक्रम की घोषणा उन खबरों के बीच की गई है, जिनमें कहा जा रहा है कि अध्यक्ष ने लंबित अयोग्यता याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। दलबदल मामलों की जाँच पूरी करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित तीन महीने की अवधि 31 अत्तूबर को समाप्त हो गई। शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई को अध्यक्ष को तीन महीने के भीतर कार्यवाही पूरी करने के निर्देश दिये थे।
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हाईकोर्ट में सुनवाई समाप्त
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को विधायक खरीद-फरोख्त मामले में भाजपा नेता बी.एल. संतोष, जग्गू स्वामी और तुषार वेल्लापल्ली की याचिकाओं पर सुनवाई बंद कर दी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जूकंटी अनिल कुमार ने दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई की। इन याचिकाओं में सिट द्वारा जारी सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ने दलील देते हुए कहा कि नोटिस जारी करने के पर्याप्त कारणों का खुलासा नहीं किया गया था और इस कारण ही उच्च न्यायालय ने पहले स्थगनादेश दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि निचली अदालत ने याचिकाकर्ताओं को प्रस्तावित आरोपियों की सूची में शामिल करने के एसआईटी के अनुरोध को खारिज कर दिया था। सरकारी अधिवक्ता पल्ले नागेश्वर राव ने दलील देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को जारी नोटिस अमल में नहीं है और मामले की जाँच-पड़ताल सीबीआई को सौंप दी गई है। इस दलील के साथ न्यायाधीश ने इन याचिकाओं पर सुनवाई को अनावश्यक बताते हुए सुनवाई समाप्त करते हुए आदेश जारी किए।
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