उच्च न्यायालय ने खारिज की 3 बच्चों के नियम को लेकर दायर याचिका

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हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। स्थानीय निकाय में चुनाव लड़ना मौलिक अधिकारों की परिधि में नहीं आता है। इस संदर्भ में अदालत ने उच्च न्यायालय में जावेद बनाम हरियाणा मामले में दिए गए फैसले का उल्लेख किया और कहा कि इस फैसले के अनुसार चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। यह कोई व्यापार, नौकरी या पेशे से संबंधित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।

स्थानीय निकाय चुनाव में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को दो से अधिक बच्चे न होने के पंचायतराज अधिनियम की धारा 21(3) के तहत नियम को रद्द करने का आग्रह करते हुए संगारेड्डी ज़िला, कंदी मंडल निवासी उप्पू वीरन्ना व अन्य याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस जी.एम. मोहियुद्दीन की खण्डपीठ ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने दलील देते हुए बताया कि पंचायतराज अधिनियम की धारा 21(3) के तहत दो बच्चों का नियम संविधान के अनुच्छेद-14, 19(1)(जी) और 21 के तहत दिए गए अधिकारों के विरुद्ध है। इस नियम को संशोधित करने के सरकार के निर्णय को राज्यपाल ने भी अपनी मंजूरी नहीं दी है। इसीलिए वे इस नियम को खारिज करने का अदालत से आग्रह कर रहे हैं।

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दलील सुनने के पश्चात खण्डपीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार स्थानीय निकाय में चुनाव लड़ना मौलिक अधिकारों की परिधि में नहीं आता है और यह मौलिक अधिकार नहीं है। खण्डपीठ ने यह भी कहा कि राज्यपाल के मामले में वे हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इसके साथ ही खण्डपीठ ने दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

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