हैदराबाद, श्रद्धा व विश्वास के साथ नमस्कार महामंत्र पढ़ने से विनय गुण प्रकट होता है। आत्म कल्याण के लिए विनयवान होना आवश्यक है। उक्त उद्गार सिकंदराबाद मारुति विधि जैन स्थानक में वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद द्वारा आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा को संबोधित करते हुए पूज्य साध्वी डॉ. श्रीसुमंगलप्रभाजी म.सा. ने दिये। पूज्यश्री ने कहा कि उत्तराध्ययन के प्रथम अध्ययन में विनय और अविनय की चर्चा होती है।
अविनीत व्यक्ति अनुशासन विहीन होगा। जीवन में यदि विनय का अभाव होगा तो फिर कोई भी गुण टिकने वाला नहीं है। विनय धर्म की प्राप्ति के बाद व्यक्ति को अभिमान नहीं करना चाहिए। जीवन में अहंकार अमावस्या के तम के समान होती है। अहंकार को नष्ट करने के लिए जीवन में विनय का गुण होना बहुत ही आवश्यक है।
म.सा.ने कहा कि बाहुबली संयम जीवन को अंगीकार कर ध्यान में खडे खडे ही लीन हो गये, लेकिन उनको केवल ज्ञान, केवल दर्शन की तब तक प्राप्ति नहीं हुई जब तक अहंकार का त्याग नहीं किया। नौ प्रकार के पुण्य में नमस्कार पुण्य का नाम आता है। नमस्कार पुण्य ही एक विनय का सूचक होता है। सभा का संचालन करते हुए वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के विमल पितलिया ने बताया कि 5 घंटे का जाप सुचारू रूप से चल रहा है।
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वंदना मासखमन में अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अध्यक्ष गौतमचंद गुगलिया ने बताया कि सुबह 8.30 से 9.30 बजे तक उत्तराध्ययन सूत्र वाचन रहेगा। प्रतिदिन लाभार्थी परिवार द्वारा अल्पाहार की व्यवस्था की जा रही है। कल के लाभार्थी संपतराज, सुजीत कुमार, अजीत कुमार कोठारी एवं सुभाषचंद, विशाल, मोहित सांखला परिवार होंगे। आज के लाभार्थी पारसमल, गौतमचंद, अमित डूंगरवाल एवं अशोक, किशोर, राजेंद्र बोहरा परिवार रहे।
