जल्दी करो, वरना रक्तपात होगा!

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की हालिया चेतावनी ने मध्य पूर्व के संवेदनशील क्षेत्र को एक बार फिर हिला दिया है। ट्रुथ सोशल पर अपने संदेश में ट्रंप ने हमास को साफ़ लफ़्ज़ों में धमकाया है, जल्दी करो, वरना रक्तपात होगा! यह बयान ग़ाज़ा शांति योजना के सिलसिले में आया है, जिसमें युद्धविराम, हमास का निरस्त्रीकरण और बंधकों की रिहाई जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं।

ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि हमास इस योजना पर तुरंत सहमत नहीं होता, तो भारी रक्तपात होगा; यहाँ तक कि पूर्ण विनाश का सामना करना पड़ेगा। यह न केवल हमास के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक अल्टीमेटम है, जो अमेरिकी कूटनीति की आक्रामक शैली को दर्शाता है। ग़ाज़ा संघर्ष की जड़ें गहरी हैं। 7 अक्तूबर, 2023 को हमास के हमले से शुरू हुए इस युद्ध ने अब तक 40 हजार से अधिक फिलिस्तीनी और 1,200 इजराइली जानें ले ली हैं।

ट्रंप की ग़ाज़ा योजना: शांति या शक्ति प्रदर्शन?

इजराइल की सैन्य कार्रवाई ने ग़ाज़ा को तबाह कर दिया है, जबकि हमास की ज़िद ने शांति प्रयासों को बार-बार पटरी से उतार दिया। ट्रंप की यह योजना मिस्र, कतर और अमेरिका के मध्यस्थों द्वारा तैयार की गई है, जिसमें 72 घंटे के भीतर बंधकों की रिहाई और हमास की सैन्य क्षमता का अंत शामिल है। लेकिन ट्रंप की भाषा – जो पूर्ण विनाश और नरक जैसे शब्दों से सजी है – कूटनीति से अधिक ब्लैकमेल की याद दिलाती है। यह शांति का रास्ता है या युद्ध का नया अध्याय?

सयाने याद दिला रहे हैं कि ट्रंप की विदेश नीति हमेशा से अमेरिका फर्स्ट पर आधारित रही है, लेकिन मध्य पूर्व में उनका हस्तक्षेप अब अधिक प्रत्यक्ष हो गया है। 2025 में सत्ता में लौटने के बाद, ट्रंप ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ घनिष्ठ रिश्तों को मजबूत किया है। उनका बयान स्पष्ट रूप से इजराइल के हितों की रक्षा करता है। लेकिन यह एकतरफा है।

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हमास ने इसे को इजरायली शर्तों का नाम दिया है, जबकि फिलिस्तीनी प्राधिकरण इसे हमास-विरोधी बता रहा है। ट्रंप की चेतावनी से क्षेत्रीय शक्तियाँ सतर्क हो गई हैं। ईरान (जो हमास का समर्थक है) ने इसे अमेरिकी आक्रमण करार दिया, जबकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश चुप्पी साधे हुए हैं, जो अब्राहम समझौते के बाद इजराइल के करीब हैं। कहा जा सकता है कि ग़ाज़ा योजना एक ओर तो युद्ध समाप्ति का व्यावहारिक प्रस्ताव है।

मध्य पूर्व में शांति या नया रक्तपात संकट?

मिस्र में होने वाली मध्यस्थ वार्ता में तकनीकी टीमें योजना को अंतिम रूप देने वाली हैं। ट्रंप का दबाव हमास को मजबूर कर सकता है, खासकर जबकि बंधक मुद्दा अंतरराष्ट्रीय दबाव का केंद्र है। लेकिन दूसरी ओर, यह चेतावनी रक्तपात को बढ़ावा दे सकती है। ट्रंप की अधिकतम दबाव की नीति शांति लाने के बजाय संघर्ष को लंबा खींच सकती है। यदि हमास सहमत नहीं होता, तो इजराइल की सैन्य कार्रवाई तेज हो सकती है, जो ग़ाज़ा में मानवीय संकट को और गहरा देगी। याद रहे कि ग़ाज़ा में भुखमरी और बीमारी का संकट पहले ही चरम पर है!

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कुल मिलाकर, ट्रंप का बयान एक दोधारी तलवार है। यह शांति के लिए मजबूर करने का प्रयास ज़रूर है; लेकिन असफल हुआ तो मध्य पूर्व में नया रक्तपात निश्चित है। हमास को समझना चाहिए कि ज़िद से फिलिस्तीन का भला नहीं होगा। इजराइल को भी संयम बरतना होगा। विश्व समुदाय – विशेषकर भारत जैसी उभरती शक्तियों को – अब हस्तक्षेप करना चाहिए। शांति का मार्ग कठिन है, लेकिन रक्त की नदी से बचना अनिवार्य! ग़ाज़ा के निर्दोष बच्चे और महिलाएँ इंतज़ार कर रहे हैं – वह सुबह कभी तो आएगी!

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