हैद्रा ने कब्ज़े से मुक्त की 923 एकड़ सरकारी भूमि : रंगनाथ


हैदराबाद, हैदराबाद आपदा प्रतिक्रिया एवं संपदा संरक्षण एजेंसी के आयुक्त ए.वी. रंगनाथ ने बताया कि हैद्रा ने अपनी अब तक 923 एकड़ ज़मीन को अतिक्रमण से बचायी, जिसका मूल्य लगभग 50 हज़ार करोड़ हो सकता है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि रविवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई चलाने में किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।
हैद्रा आयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दो टूक कहा कि सार्वजनिक भूमि पर किये गये अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रुकेगी नहीं। अगर नालों और तालाबों पर कब्ज़ा है, तो उन्हें छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। शहर से लगभग 60 तालाब गायब हो गए हैं। ऐसे में हैद्रा ने छह तालाबों को पूरी तरह से पुनर्जीवित किया है। गाजुलारामरम में अतिक्रमण को लेकर राजनीति के गर्मा जाने पर हैद्रा आयुक्त ने कहा कि वहाँ कुछ उपद्रवी राउडी शीटरों ने सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण कर लिया था।
हैद्रा ने सरकारी भूमि और तालाबों से अतिक्रमण हटाया
इसमें फ़र्ज़ी पट्टे थे और निर्माण कार्य किए गए थे। हैद्रा ने सरकारी ज़मीन से 260 ढाँचे हटाए हैं। वहाँ 900 से ज़्यादा घर हैं। केवल 260 घर तोड़े गए। शेष 640 घर नहीं तोड़े गए। कुछ गरीब लोगों ने बिना यह जाने कि यह सरकारी ज़मीन है, घर खरीद लिए हैं। नालों पर अतिक्रमणों की पहचान कर उन्हें हटाया जा रहा है। नालों से गाद निकालने का काम तेज़ी से जारी है। उन्होंने बताया कि कई स्थानों पर ऐसी स्थिति है कि बारिश का पानी तालाबों में चला जाता है, लेकिन वहाँ पानी का भंडारण नहीं होता।
कंक्रीटिंग के कारण बारिश का पानी ज़मीन में नहीं समा पाता। ज़्यादा प्रदूषण के कारण शहरों में ज़्यादा बारिश हो रही है। ऐसी स्थिति में तालाबों और पार्कों का संरक्षण अनिवार्य है। हैद्रा आयुक्त ने कहा कि हैद्रा ने कहीं भी बिल्डरों के साथ सांठगांठ नहीं की। 12 बड़े बिल्डरों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। वर्टेक्स और वासवी बिल्डर्स के साथ समझौते के आरोप गलत हैं। उन्होंने बताया कि 19 जुलाई, 2024 को हैद्रा की स्थापना के बाद से अब तक 923.14 एकड़ सरकारी ज़मीन बचाई जा चुकी है।
इसका मूल्य 45 से 50 हज़ार करोड़ रुपये है। लगभग 581 अतिक्रमण तोड़े गए। रंगनाथ ने कहा कि तालाबों पर 50 से 60 सालों से अतिक्रमण था। हैद्रा पिछले 14 माह से तालाबों से अतिक्रमण हटा रहा है। तालाबों और नालों पर अतिक्रमण की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। तालाबों में कूड़ा डालने के ख़िल़ाफ 75 मामले दर्ज किए गए।

हैद्रा की आपदा प्रतिक्रिया और अतिक्रमण निवारण रणनीति
प्रजावाणी, व्हाट्सऐप, ट्विटर, ईमेल, डाक द्वारा और व्यक्तिगत रूप से झीलों, पार्कों, सड़कों, नालों, सरकारी भूमि, अवैध लेआउट आदि अतिक्रमणों से संबंधित लगभग 5000 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। रविवार को कार्रवाई से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि इसमें किसी तरह की कोई अदालती रोक नहीं है। किसी भी दिन कार्रवाई की जा सकती है।
रंगनाथ ने कहा कि बस्तियों और जलभराव की समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित करते हुए लगभग 75 प्रतिशत शिकायतों का निवारण किया गया। स्थायी तौर पर पहचाने गये जलभराव बिंदुओं पर 368 स्थिर कर्मी तैनात हैं। हैद्रा ने बारिश, बाढ़, गिरे हुए पेड़, आग से संबंधित सार्वजनिक शिकायतों के लिए सीएपी आधारित एसएमएस अलर्ट के साथ टोल-फ्री आपातकालीन नंबर 1070 शुरू किया है।
वर्तमान में डीआरएफ की 51 टीमें काम कर रही हैं, जिसे बढ़ाकर 72 करने का प्रस्ताव है। शहर में 150 मानसून आपातकालीन टीमें हैं। रंगनाथ ने हैद्रा के रोडमैप का उल्लेख करते हुए कहा कि झीलों के एफटीएल की जानकारी के लिए ड्रोन का उपयोग, तालाबों, नालों और सरकारी संपत्तियों की जियो फेंसिंग, अंतर-विभागीय समन्वय के लिए रियल-टाइम डैशबोर्ड और अलर्ट तथा समग्र संपत्ति प्रबंधन के लिए स्थानिक और गैर-स्थानिक डेटासेट का एकीकरण जैसे कार्य प्रस्तावित हैं।
6 तालाबों का पुनरुद्धार
आयुक्त ने बताया कि 58.40 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से माधापुर में सुन्नमचेरुवु, तम्मिडिकुंटा, उप्पल में नल्लाचेरुवु, राजेंद्रनगर में बुम-रुक-उद्दीन-दौला तालाब, कुकटपल्ली नल्लाचेरुवु, अंबरपेट में बतुकम्माकुंटा सहित 6 झीलों का जीर्णोद्धार कार्य किया है। बतुकम्माकुंटा का उद्घाटन आगामी 26 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा। कायाकल्प के कारण उपरोक्त झीलों का क्षेत्र 105 एकड़ से बढ़ाकर 180 एकड़ कर दिया गया, जिससे लगभग 75 एकड़ अतिक्रमित भूमि पुन प्राप्त हुई।
झीलों और नालों के लिए एफटीएल और बफर जोन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया प्रगति पर है। 25 अत्तूबर से झीलों से संबंधित अधिसूचनाओं का प्रकाशन शुरू किया जाएगा। जीएचएमसी क्षेत्राधिकार में 180 झीलों में 8.60 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 1000 सीसीटीवी कैमरे लगाने का कार्य प्रगति पर है। पुनरुद्धार के लिए 14 और झीलों की पहचान की गई है। सरकार को प्रस्ताव भेजे गए हैं।
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