ईश्वर करुण को मिलेगा अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय भाषा सेतु सम्मान-2025

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हैदराबाद, दक्षिण भारत में हिन्दी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था, बेंगलुरू (पंजीकृत) के अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय समारोह-2025 में इस वर्ष चेन्नई के ईश्वर करुण को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी उपलब्धियों के लिए अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय भाषा सेतु सम्मान दिया जाएगा। सम्मान के साथ-साथ उन्हें 11,000 रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।

संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. इन्दू झुनझुनवाला, अध्यक्ष डॉ. प्रेम तन्मय, अंतरराष्ट्रीय सचिव शैल अग्रवाल और महासचिव डॉ. चंदा प्रह्लादका द्वारा संयुक्त रूप से जारी प्रेस विज्ञप्ति में उक्त जानकारी दी गई। संस्था द्वारा 8 एवं 9 नवंबर, 2025 को बेंगलुरू में आयोजित कार्यक्रम में सम्मान दिया जाएगा। अभ्युदय संस्था प्रतिवर्ष देश के चुने हुए हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, संगीतकार, महिला रचनाकार, युवा रचनाकार आदि को उनके कार्यकलापों और योगदान के आधार पर सम्मानित करती है।

ईश्वर करुण का प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक योगदान

ईश्वर करुण की शिक्षा-दीक्षा और प्रारंभिक जीवन मोहिउद्दीन नगर में (बिहार) बीता है। वे मोहिउद्दीन नगर नोटिफाइड एरिया के पहले निर्वाचित उपाध्यक्ष रहे हैं और मोहिउद्दीन नगर में स्थापित कृष्णदेव शोभेलाल सिंह महाविद्यालय के पहले प्रभारी प्राचार्य रहे हैं। इसके अलावा भी ईश्वर करुण मोहिउद्दीन नगर के पहले सिनेमा हॉल शांति टॉकीज के भी प्रथम मैनेजर रह चुके हैं। ईश्वर करुण मोहिउद्दीन नगर की साहित्यिक, शैक्षणिक, सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में अग्रणी रहे हैं।

वे साहित्य परिषद के संस्थापक अध्यक्ष और कला कुंज, कला निकेतन, कला प्रेमी, नाट्य संस्था रंगिमा आदि के संस्थापक/संस्थापक सदस्यों में रहे हैं। ईश्वर करुण के जीवन पर आधारित अभिनंदन ग्रंथ दिल्ली के तक्षशिला प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है, जिसे दक्षिण भारत के विद्वान प्रोफेसर डॉ. ऋषभदेव शर्मा और प्रो. डॉ. जी. नीरजा ने संपादित किया है। करुण के साहित्य पर एम फिल भी हुआ है, उनकी गज़लें बीए के पाठ्यक्रम में रही हैं और यूजीसी ने भी उनकी कविताओं पर रिसर्च प्रोजेक्ट करवाया है।

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ईश्वर करुण के साहित्यिक योगदान और प्रमुख कृतियाँ

वर्तमान में तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी के महासचिव ईश्वर करुण चेन्नई में बिहार असोसिएशन, मैथिल समाज, तमिलनाडु हिन्दी अकादमी के सचिव भी रह चुके हैं। भारत सरकार के उपक्रम में वरिष्ठ पदाधिकारी रह चुके ईश्वर करुण ने दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा के शतमानोत्सव के जनसंपर्क अधिकारी के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। वे दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु में हिन्दी प्रचार प्रसार के क्षेत्र में पिछले लगभग 40 वर्षों से सक्रिय रहे हैं और यहाँ के साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान देते रहे हैं।

ईश्वर करुण की मौलिक कृतियों में- तूती चुप मत रहना (गद्य), पंक्तियों में सिमट गया मन (काव्य), एक और दृष्टि (गद्य), चुप नहीं है ईश्वर (छंदमुक्त कविता), तुमको मेरी जीत की कसम (नवगीत), शाम ग़मगीन है अनारकली (गज़ल), खिली-खिली है नागफनी (नवगीत) और कुरिंजी खिल उठा (कहानी) पुस्तकें शामिल हैं। इनकी कहानियों का अनुवाद तमिल में हुआ है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं के दक्षिण भारत विशेषांक, तमिलनाडु विशेषांक आदि का भी उन्होंने सफल संपादन किया है।

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