छात्रों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य : कोर्ट

हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में छात्रों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है। अदालत ने माना कि स्कूली शिक्षा निदेशक याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत विनती पत्र पर उचित कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। उच्च न्यायालय ने सिटी सिविल कोर्ट द्वारा 7 अक्तूबर को जारी आदेशों पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश जारी किया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि स्थगन आदेश 11 नवंबर तक लागू रहेंगे। इसके साथ ही मुशीराबाद रेडिएंट हाई स्कूल को सिविल विवाद में हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। सिविल विवाद में स्कूल के खिलाफ सिटी सिविल कोर्ट द्वारा जारी आदेशों को चुनौती देते हुए मुशीराबाद रेडिएंट हाई स्कूल की छात्रा शारिबा तस्नीम सहित कई याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गई हैं। सिटी सिविल कोर्ट द्वारा जारी आदेश असंवैधानिक हैं। वे संविधान के अनुच्छेद 21 और 21 ए के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

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यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए कि छात्रों को शैक्षणिक वर्ष के बीच में किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े उन्होंने आग्रह किया कि तब तक, संबंधित अधिकारियों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 8 और 9 के तहत तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाना चाहिए ताकि प्रभावित छात्रों की शिक्षा जारी रहे। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) को स्थिति पर नज़र रखने के आदेश जारी किए जाने चाहिए। इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुरेपल्ली नंदा ने सिविल कोर्ट के आदेशों पर रोक लगा दी और सुनवाई स्थगित कर दी।
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