माओवादियों को लगा एक और झटका, दो प्रमुख नेताओं ने किया आत्मसमर्पण

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हैदराबाद, माओवादी पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। ज्ञात हो कि कुछ दिन से माओवादी बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण कर सार्वजनिक जीवन की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं रहे हैं। हाल ही में, एक और प्रमुख नेता ने भी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। कुछ अन्य प्रमुख नेता भी उनके नक्शेकदम पर चल रहे हैं।

आत्मसमर्पण करना माओवादी पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति

तेलंगाना से माओवादी पार्टी के प्रमुख नेता बंडी प्रकाश उर्फ प्रभात (माओवादी नेता बंदी प्रकाश) ने आज (मंगलवार)ने एक और नक्सली नेता पुल्लुरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना के साथ मिलकर तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक बी. शिवधर रेड्डी की मौजूदगी में आत्मसमर्पण कर दिया।
बंडी प्रकाश का गृहनगर मंचिरियाल जिले का मंदामरी है। उन्होंने वर्ष 1982-84 के बीच गाँवों की ओर चलो आंदोलन के माध्यम से रैडिकल स्टूडेंट यूनियन (आरएसयू)के लिए संघर्ष किया। इसके बाद उन्होंने माओवादी पार्टी से संबद्ध सिंगरेनी वर्कर्स यूनियन (सीकासा)के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। बताया जा रहा है कि बंडी प्रकाश माओवादी पार्टी में राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण संगठनकर्ता हैं। लगभग 45 वर्षों तक भाकपा-माओवादी पार्टी में विभिन्न स्तरों पर राज्य समिति के सदस्य रहे प्रकाश का पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना माओवादी पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

प्रकाश के साथ एक और माओवादी नक्सली पुल्लुरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना (सीसीएम) ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। 64 वर्षीय प्रसाद राव मूलतः पेद्दापल्ली जिला, जुलपल्ली मंडल के वडकापुर गांव के रहने वाले है। उनके पिता पी. श्रीनिवास राव सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक रह चुके है। उनकी मां वरलक्ष्मी घरेलू महिला के रूप में कार्यरत थी। प्रसाद राव इंटर की पढ़ाई के दौरान वर्ष 1979 में वे आरएसयू के सम्पर्क में आए और माओवादी विचारधारा से प्रभावित हुए और आरएसयू में शामिल हो गये। इंटर की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद वे आरएसयू में पूरी तरह से सक्रिय हो गये और उन्हें क्षेत्रीय समिति का सदस्य बनाया गया।

वर्ष 1980 में वे माओवादियों के सशस्त्र दल में शामिल हो गये। इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जगदलपुर जेल भेजा गया। जेल से रिहा होने के बाद वे अपने गांव लौट आए। कुछ दिन बाद में प्रतिबंधित पीपुल्स वार ग्रुप के वार दलम में शामिल होकर आसिफाबाद चले गये। वर्ष 1983 में उन्हे कमांडर का रैंक दिया गया विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए प्रसाद राव ने 17 वर्ष सेंट्रल कमेटी के नेतृत्व किया। गत 21 अक्तूबर को मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी की अपील से प्रभावित होकर प्रसाद राव ने आत्मसमर्पण का मन बना लिया।

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आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ
बंडी प्रकाश के पिता रामा राव सिंगरेनी कोलरिस में कार्यरत थे और प्रकाश का वर्ष 1990 में हेमादुर्गा उर्फ माहेश्वरी उर्फ झांसी (हैदराबाद निवासी) से विवाह हुआ और उन्हें एक लड़का किरण हुआ, जो वर्तमान समय में अम्बेडकर फुले युवजना संगम (माओवादी समर्थक संगठन) में कार्यरत है।

वर्ष 2005 के दौरान प्रकाश अपनी पत्नी के साथ मिलकर भूमिगत हो गये थे। इसके छह माह बाद माहेश्वरी ने पार्टी छोड़कर करीम नगर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन बंडी प्रकाश सक्रिय रहे। वर्ष 1989 के दौरान पुनः एक बार भूमिगत हो गये थे और इसके छह माह के बाद माओवादी नेता सागर के साथ विचारों को लेकर मतभेद के चलते प्रकाश ने दल छोड़ दिया और कुछ दिन मलकानगिरी में रहने से बाद हैदराबाद आ गये।

वर्ष 1992 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और 15 अगस्त 2004 को उन्हें जेल से रिहा किया गया। जेल से रिहा होने के बाद वे पुनः सक्रिय हो गये।वर्ष 2015 से वर्तमान समय तक वे सिंगरेनी कोल बेल्ट समिति और तेलंगाना स्टेट समिति के प्रेस टीम के प्रभारी के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने भी मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी की अपील से प्रभावित होकर प्रसाद राव के साथ मिलकर आज पुलिस महानिदेशक शिवधर रेड्डी के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

प्रसाद राव के नाम पर 25 लाख रुपये और बंडी प्रकाश के नाम पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। पुलिस महानिदेशक शिवधर रेड्डी ने भी माओवादी नक्सलियों से हिसा रास्ता छोड़ कर जीवन की मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की और कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से हरसंभव सेवा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है और योजनाएं अमल में लाई जा रही है।

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