इंजीनियरिंग कॉलेजों को राहत नहीं
हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने तेलंगाना प्रवेश नियामक समिति (टीएएफआरसी) को निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुल्क वृद्धि के मुद्दे पर अध्ययन करने और निर्णय लेकर 6 सप्ताह के भीतर सरकार को रिपोर्ट देने के आदेश दिए। यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार समिति से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद शुल्क वृद्धि पर निर्णय लेगी और शुल्क वृद्धि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर निर्भर करेगी। यह बात कॉलेजों में प्रवेश पाने वाले छात्रों को बताई जानी चाहिए।
यह मामला आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाना चाहिए। इस स्तर पर शुल्क बढ़ाने की अनुमति माँगने वाले कई इंजीनियरिंग निजी कॉलेजों की याचिकाएँ स्वीकार्य नहीं है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस के. लक्ष्मण ने आज शुल्क वृद्धि को लेकर दायर याचिकाओं पर अंतरिम आदेश जारी कर मामले की सुनवाई 12 अगस्त तक स्थगित कर दी। इस दौरान प्रतिवादियों को अपनी दलील के साथ प्रतियाचिका दायर करने के लिए नोटिस जारी की।
राज्य सरकार द्वारा सरकारी आदेश संख्या 26 जारी कर बताया कि शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में ब्लॉक पीरियड शुल्क ही लागू होंगे। इस मामले को लेकर गोकाराजू रंगाराजू और गुरुनानक सहित 12 इंजीनियरिंग कॉलेजों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सरकारी आदेश रद्द करने और शुल्क बढ़ाने की अनुमति माँगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि गत दिसंबर माह में ही समिति को शुल्क वृद्धि के प्रस्ताव भेजे गए थे और समिति ने पिछले वर्ष मार्च माह में एक बैठक भी की थी।
यह भी पढ़ें… इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुल्क वृद्धि को लेकर अदालत नाराज
शुल्क वृद्धि पर रोक, समिति को 6 सप्ताह की मोहलत
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देशाई प्रकाश रेड्डी ने दलील जारी रखते हुए कहा कि समिति द्वारा वर्तमान समय तक इस मामले पर निर्णय न लेने के कारण और देरी होने से कॉलेजों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली 15 सदस्यीय समिति ने उचित निर्णय नहीं लिया और सरकार को रिपोर्ट नहीं भेजी। इस कारण कॉलेजों पर वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. रघुराम ने दलील देते हुए कहा कि कॉलेजों ने समिति को पाँच हजार पन्नों के प्रस्ताव भेजे हैं, जिनकी जाँच पूरी होने और उचित निर्णय लेने में समय लगेगा। सरकारी अधिवक्ता राहुल रेड्डी ने दलील देते हुए कहा कि कॉलेजों ने पिछले शैक्षणिक वर्ष के शुल्क की तुलना में लगभग 70 से 90 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि कॉलेजों को शैक्षणिक व्यवसाय करने की अनुमति नहीं है।
इन दलीलों पर उच्च न्यायालय ने आज अंतरिम आदेश जारी किए, जिसमें शुल्क वृद्धि को अनुमति नहीं देने की बात कही गई। यह भी कहा गया कि समिति कॉलेजों के प्रस्तावों की जाँच कर कानून के अनुसार सरकार को रिपोर्ट सौंपे। इसके लिए समिति को 6 सप्ताह की समय-सीमा दी गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि शुल्क वृद्धि का मामला रिपोर्ट पेश करने के बाद सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर निर्भर होगा। इसकी जानकारी दाखिला लेने वाले छात्रों को दी जाए और वेबसाइट पर अपलोड की जाए। इस अंतरिम आदेश के साथ मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त तक स्थगित कर दी गई।
अब आपके लिए डेली हिंदी मिलाप द्वारा हर दिन ताज़ा समाचार और सूचनाओं की जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया हैंडल की सेवाएं प्रस्तुत हैं। हमें फॉलो करने के लिए लिए Facebook , Instagram और Twitter पर क्लिक करें।





