मुक्ति की राह में बाधक हैं राग द्वेष : भक्तिदर्शनजी

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हैदराबाद, कर्म बंधन के मूल कारण राग और द्वेष हैं। यही मुक्ति की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं। उक्त उद्गार गोशामहल स्थित शंखेश्वर भवन में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन संघ के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा में श्री भक्तिदर्शन विजयजी ने दिये। पूज्यश्री ने कहा कि मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ने के लिए सबसे पहली आवश्यकता सम्यक दृष्टि है। जब दृष्टिकोण शुद्ध और सात्विक होता है, तभी साधना और संयम सार्थक परिणाम देते हैं।

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क्रोध, मान, माया और लोभ भी आत्मा की उन्नति में रुकावट उत्पन्न करते हैं। कर्म बंधन के मूल दो कारण हैं राग और द्वेष। इसलिए सभी परिस्थितियों में समभाव में रहना चाहिए। केवल अपने लिए नहीं, बल्कि परहित के लिए भी चिंतनशील रहना चाहिए। प्रचार संयोजक जसराज देवड़ा धोका ने बताया कि रविवार 26 अक्तूबर को ज्ञान पंचमी पर शंखेश्वर भवन में सरस्वती पूजन होगा। संघ अध्यक्ष चंपालाल भंडारी व व चातुर्मास संयोजक बाबूलाल सालेचा ने संकल संघ से पधारने की विनती की है।

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