बीसी आरक्षण के खिलाफ दर्ज याचिकाएँ खारिज


हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ी जाति (बीसी) को 42 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के फैसले को अवैध बताते हुए दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, सरकार ने आरक्षण लागू करने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किए और बिना आदेश के याचिकाओं पर सुनवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा कि केवल समाचार-पत्रों के समाचार के माध्यम से दायर याचिकाओं को अनुमति नहीं दी जा सकती और इसके संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जॉर्ज फर्नांडीस के मामले पर सुनाए गए फैसले का उल्लेख किया। मेडचल-मलकाजगिरी ज़िला, मूडूचिंतलपल्ली मंडल के केशवपुर ग्राम निवासी बुट्टेमगारी माधव रेड्डी और सिद्दीपेट ज़िले के चिन्नाकोंडुरू के जलपल्ली मल्लव्वा ने स्थानीय निकाय चुनाव में बीसी वर्ग को 42 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाएँ दायर की।
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याचिका खारिज: उच्च न्यायालय ने बीसी आरक्षण फैसला
इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस के. लक्ष्मण ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बी. मयूर रेड्डी ने कहा कि सरकार के इस फैसले को अमल में लाने पर आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा। पंचायतराज अधिनियम की धारा 285 अमल में है और इसके आधार पर ही स्थानीय निकाय चुनाव करवाए जाने चाहिए।
प्रतिवाद करते हुए महाधिवक्ता ए. सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि आरक्षण को अमल में लाने के संबंध में सरकार की ओर से किसी प्रकार के कोई आदेश जारी नहीं किए गए। इसीलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अपने मन में कल्पना कर याचिका कैसे दायर कर सकते हैं।
इस दलील के साथ उन्होंने याचिका को खारिज करने का आग्रह किया। दलील सुनने के पश्चात न्यायाधीश ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस याचिका पर किसी प्रकार के कोई आदेश जारी नहीं किए जाएँगे, क्योंकि यह याचिका स्वीकार योग्य नहीं है। इस दलील के साथ न्यायाधीश ने याचिका खारिज कर दी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने अनुरोध किया कि यदि आरक्षण के आदेश जारी होते हैं, तो इसे चुनौती देने का अवसर दिया जाए, लेकिन न्यायाधीश ने इनकार कर दिया।
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