एसएलबीसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे का उद्घाटन किया रेवंत रेड्डी ने
हैदराबाद, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने घोषणा की कि राज्य सरकार दुनिया की सबसे बड़ी 40 किलोमीटर लंबी एसएलबीसी सुरंग परियोजना को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एसएलबीसी परियोजना के निकट जलमग्न मर्लापाडु, केश्याताडा और नक्कलगंडी बस्तियों के निवासियों की समस्याओं का समाधान आगामी 31 दिसंबर तक कर दिया जाएगा।
रेवंत रेड्डी ने आज नागरकर्नूल जिले के मन्नेवारी पल्ली में एसएलबीसी सुरंग निर्माण कार्यों के लिए एरियल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे का उद्घाटन किया।

इससे पूर्व उन्होंने सर्वे के लिए की गई तैयारियों का निरीक्षण किया। सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और सड़क एवं भवन निर्माण मंत्री कोमटिरेड्डी वेंकट रेड्डी भी उनके साथ थे। राज्य सरकार ने एसएलबीसी सुरंग उत्खनन कार्यों के पुनरुद्धार के तहत आज मैग्नेटिक जियोफिजिकल सर्वे शुरू किया। यह सर्वे राष्ट्रीय भूभौतिकीय संस्थान (एनजीआरआई) के वैज्ञानिकों के तत्वावधान में किया जा रहा है।
यह सर्वे एक हेलीकॉप्टर में लगे एक विशेष ट्रांसमीटर का उपयोग करके किया जाएगा। इस सर्वे के जरिए जमीन में 1000 मीटर की गहराई तक स्थित जियोलाजिकल डाटा एकत्रित किए जाएगा। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस उच्च तकनीकी सर्वे से जमीन के भीतर शियर जोन और जल प्रवाह की पहचान हो सकेगी। तत्पश्चात सीएम रेवंत रेड्डी ने मंत्रियों के साथ मन्नेवरी पल्ली से एक हेलीकॉप्टर से सर्वे का निरीक्षण किया। उन्होंने एक अन्य हेलीकॉप्टर से सर्वे हेलीकॉप्टर के समानांतर कुछ किलोमीटर की उड़ान भरी और सर्वे का निरीक्षण किया।
रेवंत रेड्डी का आरोप: बीआरएस ने रोकी एसएलबीसी परियोजना
इसके बाद मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के साथ मिल कर मन्नेवारी पल्ले में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना की अनुमानित लागत 4,600 करोड़ रुपये है। राज्य सरकार कृष्णा नदी से 30 टीएमसी पानी को लिफ्ट कर 3 लाख एकड़ भूमि को सिंचाई जल सुविधा प्रदान करने के लिए तैयार है। उन्होंने पिछली बीआरएस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने अपने 10 साल के शासनकाल में राजनीतिक कारणों से महत्वाकांक्षी एसएलबीसी सुरंग का काम पूरा नहीं किया।

वास्तव में एसएलबीसी परियोजना को वर्ष 1983 में मंज़ूरी मिली थी। वर्ष 2004 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1968 करोड़ रुपये की लागत से सुरंग-1 और सुरंग-2 का काम शुरू किया था। वर्ष 2014 में केसीआर के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह काम ठप्प हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि केसीआर और हरीश राव ने जानबूझकर इस परियोजना को रोक दिया और नलगोंडा को गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से पानी पहुँचाने की परियोजना में बाधाएँ पैदा की।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि दुनिया में कहीं भी इतनी बड़ी सुरंग परियोजना नहीं बनाई गई है। अगर केसीआर सरकार ने निर्माण कार्य पूरा किया होता, तो यह परियोजना 2 हजार करोड़ की लागत में पूरी हो जाती, लेकिन आज इस परियोजना की लागत बढ़कर 4,600 करोड़ हो गई है। उन्होंने कृष्णा नदी पर एक भी परियोजना शुरू न करने के लिए पिछली सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि केसीआर सरकार ने अपने 10 वर्षों का कार्यकाल के दौरान ठेकेदारों पर 1.86 लाख करोड़ रुपये खर्च किये।
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रेवंत रेड्डी का संकल्प: हर हाल में पूरी होगी एसएलबीसी परियोजना
केवल एक कालेश्वरम परियोजना पर 1.05 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इस अवसर पर सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा कि उनकी सरकार एसएलबीसी सुरंग निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी सेना के अधिकारियों की मदद से एसएलबीसी कार्यों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है। उन्होंने कहा कि सुरंग खुदाई के दौरान 8 श्रमिकों की मृत्यु होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सरकार ने इस त्रासदी में मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की है। उन्होंने आगे कहा कि जनता ने भी इस परियोजना को पूरा न करने के लिए बीआरएस सरकार की निंदा की है। अगर यह परियोजना पूरी नहीं हुई तो जनता हमें भी माफ नहीं करेगी। इसलिए उनकी सरकार इस परियोजना के निर्माण कार्यों को हर हाल में पूरा करेगी। सीएम ने आलोचना करते हुए कहा कि पिछली सरकार ने कृष्णा नदी के पानी में राज्य के न्यायिक हिस्सा प्राप्त करने में लापरवाही बरती थी।
तत्कालीन सिंचाई मंत्री हरीश राव ने केवल 299 टीएमसी पानी के उपयोग का समझौता पर हस्ताक्षर किया था। अपना हिस्सा नहीं लेने के कारण ही आंध्र प्रदेश कृष्णा नदी के पानी का उपयोग कर रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और राज्य के हितों की रक्षा के लिए ट्रिब्यूनल के समक्ष मजबूत तर्क दिए हैं। उन्होंने बीआरएस नेता हरीश राव को चेतावनी दी कि वे सिंचाई जल के मुद्दे पर घटिया आलोचना करना बंद करें।
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