पूजाघर में भगवान को भोग लगाने के नियम
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मंदिरों में पूजा-पाठ से संबंधित कई नियम होते हैं। कुछ उसी तरह के नियम शास्त्रों में पूजाघर में की जाने वाली दैनिक पूजा के लिए भी बताए गए हैं। पूजाघरों में ठाकुर जी को भोग लगाने का नियम है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि यदि घर में विग्रह विराजमान है तो उनकी नित पूजा के साथ भोग लगाना भी अनिवार्य है। भगवान को भोग लगाते वक्त घंटी बजाने का भी विशेष महत्व बताया गया है।
इस नियम का आध्यात्मिक सिद्धांत भी है, ताकि देवी-देवताओं का भोग उन तक आसानी से पहुंच सके। शास्त्रों में पूजाघर में भोग लगाते समय घंटी बजाने के नियम बताए गए हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में जो स्वर गूंजा था, वही मंदिर के घंटे की ध्वनि थी। इसके अलावा यह भी कहा गया कि घंटी बजाने से ओंकार मंत्र का उच्चारण पूर्ण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घंटी बजाने से मूर्तियों में चैतन्यता जागृत होती है।
भोग अर्पित करते समय घंटी बजाने का महत्व और सही तरीका
पूजा-अर्चना का प्रभाव बढ़ता है। माना जाता है कि भगवान भोग को वायु के माध्यम (महक) से स्वीकार करते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, वायु के मुख्य रूप से पांच तत्व माने गए हैं- व्यान वायु, उड़ान वायु, समान वायु, अपान वायु और प्राण वायु। ऐसे में भोग लगाते समय इन पांचों तत्वों का स्मरण किया जाता है। पांच बार घंटी बजाई जाती है। माना जाता है कि इस प्रकार देवी-देवता आपके भोग को स्वीकार करते हैं। भगवान को नैवेद्य अर्पित करते समय भी घंटी बजाई जाती है।
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अक्सर देखा जाता है कि भक्त मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी बजाते हैं, यह अनुचित है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए। ऐसा करने से मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा को आप वहीं पर छोड़ देते हैं, इसलिए मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए। जब मंदिर में प्रवेश करें या भगवान के सामने पहुंचें, तो घंटी जरूर बजाएं।
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