साध्वी विनयश्रीजी ने दिया आत्मनिर्भरता का संदेश


हैदराबाद, आज का व्यक्ति हर किसी का सहयोग चाहता है। हर किसी से अपेक्षा, लालसा, इच्छा रखता है। व्यक्ति हमेशा दूसरे से अपेक्षा करता है, जबकि खुद नहीं करेगा। वह दूसरे से यही अपेक्षा रखता है कि यह कार्य वह करेगा। जितना व्यक्ति दूसरे के सहयोग की अपेक्षा रखेगा, वह उतना ही जीवन में पीछे हटता जाएगा, क्योंकि उसका जीना दूसरों पर निर्भर होता है और वह दूसरों पर निर्भर रहने के कारण खुद सभी कुछ भूल जाता है।
उक्त उद्गार सिख छावनी स्थित श्री आनंद भवन में श्री जैन श्रावक संघ कोरा (छावनी) के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मासिक धर्म सभा को संबोधित करते हुए विनयश्रीजी म.सा. ने व्यक्त किये। आज महामंत्री गौतमचंद मुथा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, म.सा. ने कहा कि जिनवाणी निरंतर चल रही है, उसे जीवन में उतारने और भगवान महावीर के बताये मार्ग पर चलने का प्रयास कर मोक्ष की मंजिल की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
म.सा. ने कहा कि आज सभी लोग एक-दूसरे पर निर्भर बने हैं। घर के लोग नौकरों से अपेक्षा करते हैं कि वह सारा काम कर देगा। सभी काम नौकरों पर छोड़ देते हैं। नौकर न आये तो फिर हालत खराब हो जाती है। भगवान महावीर ने कहा कि कितने दिन दूसरों पर निर्भर रहोगे, अब तो किसी पर निर्भर न रहो, बल्कि अपना कार्य खुद करें। घर में बेटा बड़ा होते ही व्यक्ति की अपेक्षा आरंभ हो जाती है और वह घर बाहर का कार्य उस पर सौंप देता है।
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महावीर की शिक्षाएँ और स्वयं पर निर्भर जीवन अपनाएँ
पहले के लोग खुद पर निर्भर थे, इसलिए सुखी थे। उन्हें कोई बीमारी भी नहीं होती थी और नींद भी अच्छी आती थी। आज व्यक्ति काम नहीं करता, इसलिए नींद नहीं आती और गोलियाँ खानी पड़ती है। घर में नौकर न आये तो स्थानक में आना, धर्म, सामायिक, महावीर की वाणी को भी छोड़ देते हैं। म.सा. ने कहा कि लोगों ने भगवान महावीर से यही अपेक्षा रखी कि वह चक्रवर्ती राजा बनेंगे। हर कोई अपेक्षा में जी रहे थे। लेकिन वर्धमान किसी पर निर्भर नहीं थे, न वैशाली की प्रजा पर न अपने भाई नंदिवर्धन पर।
महावीर स्वयं पर निर्भर थे और उनके भाई ने दो वर्ष रुकने के लिए बोल दिया, तो वह पूर्ण रूप से साधना में रत हो गये। म.सा. ने कहा कि अपने आप जीना शुरू करें, दूसरों पर जीना छोड़ दीजिए। घर का कार्य करेंगे तो योग कसरत हो जाएगी, जिम में जाने की आवश्यकता नहीं है।
मंच संचालन करते हुए महामंत्री गौतमचंद मुथा ने बताया कि आज माता पद्मावती तप आराधना के अंतर्गत एकासना का आयोजन किया गया। एकासना की व्यवस्था भोजन शाला में रखी गयी। शनिवार, 18 अक्तूबर से उत्तराध्ययन सूत्र भगवान महावीर की अंतिम देशना का वाचन सुबह 8.30 से 9.30 बजे तक रहेगा। कार्यक्रम के पश्चात अल्पाहार की व्यवस्था रहेगी। अल्पाहार के लाभार्थी मंगलचंद महावीरचन्द अरुण कुमार गौतमचंद कटारिया एवं मोहनलाल सूर्यप्रकाश मनोज कुमार नाबरिया परिवार हैं।
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