आज की ज़रूरत को पूरा करता एक नवाचार स्विस टाइम बैंक

तेज रफ्तार जीवन में वृद्धजनों व रोगियों की देखभाल विश्वव्यापी समस्या बन गई है। लगभग हर देश इस समस्या से जूझ रहा है। स्विड्जरलैंड सरकार ने बहुत ही सूझबूझ और दूरदर्शिता के साथ इसका समाधान खोजते हुए, एक नवाचार शुरु किया है- स्विस टाइम बैंक। यह एक सामुदायिक देखभाल कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत लोग दूसरों (विशेष रूप से वृद्धों एवं रोगियों) की सहायता के लिए अपना समय स्वेच्छा से देते हैं और बदले में उतना ही समय अर्जित करके ज़रूरत पड़ने पर स्वयं अपने लिए सेवा प्राप्त कर सकते हैं।

स्विस संघीय सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय और सेंट गैलन नगरपालिका सरकार ने इस नवाचार को लागू किया है, जिसका उद्देश्य सामाजिक सेवा लागत कम करना, पीढ़ियों के बीच संबंध मजबूत करना और वृद्धों के लिए स्थायी एवं पारस्परिक देखभाल की नीति लागू करना है। स्विस टाइम बैंक के अंतर्गत स्वयं सेवक के सेवा घंटों को उनके व्यक्तिगत खातों में जमा किया जाता है, जिनका प्रबंधन सामाजिक सुरक्षा प्रणाली द्वारा किया जाता है, जिससे उन्हें भविष्य में अपनी नर्सिंग देखभाल या दैनिक कार्यों में सहायता के लिए उतने ही घंटों की अनुमति मिलती है।

जापान, स्पेन और सिंगापुर में भी शुरू करने की तैयारी

स्वस्थ व्यक्ति, जिनके पास समय होता है, वह खरीदारी, सफाई या अन्य सहायता संबंधी कार्य करते हैं। ये लोग वृद्धजनों या ज़रूरतमंद समुदाय के सदस्यों की मदद करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं। इस नवाचार कार्यक्रम में स्वयं सेवक द्वारा प्रदान की गई सेवा का समय रिकॉर्ड में दर्ज करके उसके व्यक्तिगत समय-खाते में जमा किया जाता है। जब स्वयं सेवक को सेवानिवृत्ति, रोग या चोट आदि परिस्थिति में सहायता की जरूरत होती है, तो वह अन्य स्वयं सेवकों से उतने ही समय की देखभाल की सेवा प्राप्त करता है।

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स्विस टाइम बैंक एक लोकप्रिय प्रभावी मॉडल सिद्ध हुआ है। इसकी सफलता ने अन्य देशों में भी रुचि पैदा की है। जापान, स्पेन, न्यूजीलैंड और सिंगापुर जैसे देशों में भी इस प्रकार की टाइम-बैंकिंग पहल लागू करने का विचार किया जा रहा है। सामाजिक सुरक्षा प्रणाली इन खातों का प्रबंधन करती है और समय निकासी अनुरोध किए जाने पर स्वयं सेवकों के समूह से देखभाल कर्मियों की नियुक्ति करती है। इस नवाचार से पारस्परिक सहायता को प्रोत्साहन मिल रहा है।

समय और सेवा के आदान-प्रदान से बनी मानवीय जुड़ाव की मिसाल

युवा और वृद्धों के बीच संबंध मज़बूत हुए हैं। युवा स्वयं सेवकों को कई तरह के नए अनुभव प्राप्त हो रहे हैं और वरिष्ठ नागरिकों को भी मूल्यवान सामाजिक संपर्क एवं समर्थन प्राप्त हो रहा है, जिससे वे अकेलेपन की समस्या से राहत पा रहे हैं। यह कार्पाम वृद्धों की चुनौतियों का दीर्घकालिक समाधान सिद्ध हुआ है। भारत में भी ऐसी पहल होनी चाहिए।

-शुभ्रता निगम

युवा अपने समय और उम्र का सदुपयोग करते हुए, लाचार एवं पीड़ित लोगों की सेवा करके आवश्यकता पड़ने पर स्वयं भी ऐसे ही स्वयं सेवकों से सेवा प्राप्त कर सकते हैं। इसमें केवल समय और सेवा देनी है और स्वयं भी समय और सेवा लेनी है। इस कार्यक्रम में किसी तरह की संपत्ति या धन का प्रश्न ही नहीं उठता है। स्वेच्छा से समय देते हुए सेवा करो और आवश्यकता पड़ने पर उतने ही समय की सेवा पाओ।

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