तेलंगाना ग्राम पंचायत चुनाव : स्थानीय चुनावों में कांग्रेस ने मारी बाजी

हैदराबाद, राज्यभर में गुरुवार को ग्राम पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ। लगभग 3,834 सरपंच पदों और 27,628 वार्डों के लिए हुए चुनावों में 84.28 प्रतिशत मतदान हुआ। कुल 53.57 लाख वोटरों में से 45.15 लाख वोटरों ने अपना मताधिकार का प्रयोग किया। पुरुष वोटरों की तुलना में महिला वोटरों ने ही अधिक उत्साह से मतदान में भाग लिया। राज्य चुनाव आयोग ने बताया कि 26.13 लाख पुरुष वोटरों में से 21.99 लाख वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 27.43 महिला वोटरों में से 23.15 लाख वोटरों ने वोट डाले।

सुबह 7 से दोपहर 1 बजे तक मतदान हुआ। तत्पश्चात 2 बजे मतगणना आरंभ हुई। जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले चरण में सरपंच व वार्ड पदों पर जीतने वालों में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवार ही अधिक है। कांग्रेस के बाद मुख्य विपक्ष बीआरएस द्वारा समर्थित उम्मीदवारों ने अधिक सीटों में जीत हासिल की। जीतने वाले स्वतंत्र उम्मीदवारों से भी कम भाजपा समर्थित उम्मीदवारों द्वारा जीत हासिल करने की जानकारी है।

हमारी जिम्मेदारी और बढ़ी – महेश कुमार गौड़

प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने कहा कि राज्य भर में हुए पंचायत चुनावों के पहले चरण में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों की जीत पार्टी पर लोगों के भरोसे का सबूत है। उन्होंने पंचायत चुनाव के पहले चरण में कांग्रेस द्वारा समर्थन दिये गये उम्मीदवारों की शानदार जीत पर हर्ष जताया। उन्होंने जारी एक बयान में कहा कि स्थानीय चुनावों में सामाजिक न्याय स्पष्ट रूप दिख रहा है।

महेश कुमार गौड़ ने पहले चरण के चुनाव में 90 प्रतिशत से अधिक सरपंच पदों पर कांग्रेस से जुड़े उम्मीदवारों की जीत होने का दावा करते हुए कहा कि यह कांग्रेस सरकार पर लोगों के भरोसे का प्रमाण है। ये नतीजे सरकार पर जनता के भरोसे को एक और बार दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पंचायत चुनावों को प्रतिष्ठात्मक रूप से लिया है। इस सफलता का मुख्य कारण मंत्रियों, सांसदों, विधायकों स्थानीय नेताओं द्वारा लगातार समन्वय कर ग्राम स्तर पर प्रचार रणनीति बना कर उन्हें लागू करना है।

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ग्राम स्तर पर कांग्रेस का सीधा जनसंपर्क पार्टी के लिए फायदेमंद

महेश कुमार गौड़ ने आगे कहा कि ग्राम स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की प्रक्रिया में लोगों से सीधे मिलने का तरीका कांग्रेस के लिए ज़्यादा फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि सीएम रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने दो वर्षों का शासन ने लोगों तक कल्याण और विकास की योजनाओं का लाभ पहुंचाया। इन चुनावों में सरकार पर लोगों की संतुष्टि साफ तौर पर दिखाई दी है। सीएम रेवंत रेड्डी और मंत्रियों ने गांव स्तर की समस्याओं को समझ कर उनके समाधान की दिशा में काम करने से ग्रामीण वोटरों का कांग्रेस पर भरोसा बढ़ा है।

पूरे राज्य में कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, किसानों और युवाओं का व्यापक समर्थन स्थानीय निकाय शासन में एक नई दिशा का संकेत है। उन्होंने कहा कि इस जीत से पार्टी की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ग्रामीण विकास को और तेज करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार पंचायत राज व्यवस्था को मजबूत करने और हर गांव का विकास करने की दिशा में आगे बढ़ेगी।

नशे में धुत वोटर ने बैलेट पेपर चबाया

पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान जग्तियाल ज़िले के कोरुटला मंडल में 72 साल के वोटर ने शराब के नशे में एक बैलेट पेपर चबाकर निगल लिया, जबकि दूसरा बैलेट पेपर निगलने की कोशिश की। इस घटना की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि वेंकटपुर गांव के वेंकटैया ने जिस समय मतदान केन्द्र में प्रवेश किया, वह काफी नशे में था। मतदान केन्द्र में प्रवेश के बाद उसने वार्ड मेंबर चुनाव के लिए रखा सफेद बैलेट पेपर लिया, उसे चबाया और बैलेट बॉक्स में डालने के बजाय निगल लिया।

बताया जाता है वह इसके बाद भी वह नहीं रुका और सरपंच चुनाव के लिए रखा गुलाबी बैलेट पेपर चबाने की कोशिश की, लेकिन उसे पूरा नहीं निगल पाया। बूथ से बाहर निकलते समय पोलिंग स्टाफ ने उसकी हरकत देखी और उसे तुरंत रोक लिया। बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। चुनाव अधिकारियों की शिकायत के आधार पर उसके खिलाफ पोलिंग नियमों का उल्लंघन करने का केस दर्ज किया गया है।

मृत प्रत्याशी ने जीता चुनाव

उसने चुनाव जीत लिया, लेकिन खुशी मनाने के लिए वही नहीं रहा। गुरुवार को राजन्ना सिरसिल्ला जिले में एक मृत व्यक्ति सरपंच चुना गया। बताया जाता है कि 53 साल के चेरला मुरली ने वेमुलावाड़ा अर्बन मंडल के चिंतला ताना से सरपंच पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। हालाँकि 5 दिसंबर को नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई।

मौत के बावजूद मुरली का नाम उम्मीदवारों की अंतिम सूची में बना रहा, और मतदान तय समय पर हुआ। अधिकारियों ने कहा कि उसे 700 से ज़्यादा वोट मिले और वह 378 वोटों से चुनाव जीत गया। जीतने वाले उम्मीदवार के ज़िंदा नहीं होने कारण परिणाम रोक दिये गये हैं।

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