तेलंगाना उच्च न्यायालय ने स्थानीय निकाय चुनाव पर निर्णय स्पष्ट करने के निर्देश

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हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ी जातियों को 42 प्रतिशत आरक्षण संबंधी सरकारी आदेश पर रोक लगाने के बाद पुरानी आरक्षण पद्धति पर चुनाव करवाने पर अपना निर्णय दो सप्ताह के भीतर स्पष्ट करने के राज्य सरकार और प्रदेश चुनाव आयोग को आदेश दिये। इस आदेश के साथ मामले की सुनवाई 3 नवंबर तक स्थगित कर दी गयी।

स्थानीय निकाय चुनाव करवाने के लिए गत 9 अत्तूबर को राज्य चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने के आग्रह के साथ अधिवक्ता आर. सुरेंद्र द्वारा दायर याचिका पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस जी.एम मोहियुद्दीन की खंडपीठ ने शुक्रवार को पुनः एक बार सुनवाई की। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि पहले ही 42 प्रतिशत बी.सी आरक्षण पर रोक लगा दी गयी और इस कारण इस याचिका पर कोई विशेष आदेश देने की कोई आवश्यकता नहीं है।

राज्य सरकार और चुनाव आयोग को पुरानी आरक्षण आदेश

खंडपीठ ने कहा कि इस मामले को लेकर राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पुरानी आरक्षण पद्धति पर ही चुनाव करवाने के आदेश दिये हैं। इस पर राज्य चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जी. विद्यासागर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह का आदेश नहीं दिया है, बल्कि मौखिक रूप से सूचित किया है। उन्होंने कहा कि याचिका खारिज कर दिये जाने के संदर्भ में 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ चुनाव करवाने पर राज्य सरकार द्वारा सीट और आरक्षण आवंटन में फेरबदल किया जाना है।

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इसके लिए राज्य चुनाव आयोग की ओर से राज्य सरकार को पत्र भी लिखा गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय स्तर पर आरक्षण का आवंटन चुनाव आयोग का कार्य नहीं है बल्कि राज्य सरकार का कार्य है। चुनाव आयोग इस मामले पर सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहा है। इस पर प्रतिवाद करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नलिमेला वेंकटय्या ने कहा कि याचिकाकर्ता ने चुनाव अधिसूचना को चुनौती नहीं दी है। दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने पुरानी आरक्षण पद्धति पर चुनाव करवाने के संबंध में अपना निर्णय दो सप्ताह के भीतर स्पष्ट करने के राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।

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