तेलंगाना उच्च न्यायालय ने स्कूलों में मध्याह्न भोजन का विवरण मांगा


हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के तहत विद्यार्थियों को दिए जाने वाले भोजन का विवरण देने के राज्य सरकार को आदेश देते हुए नोटिस जारी किया। भोजन से संबंधित मेनू पर पूर्ण विवरण के साथ रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए।
भोजन में किस प्रकार के व्यंजन होते हैं और मेनू के आधार पर दिए जाने वाले भोजन में क्या शामिल है, क्या विद्यार्थियों को न्यूट्रीशियन आधारित भोजन दिया जा रहा है, एक विद्यार्थी पर भोजन के लिए कितने रुपये आवंटित किए गए हैं और आवंटन की राशि को किस प्रकार बढ़ाया जा रहा है। इन सभी तथ्यों का विवरण देते हुए प्रतियाचिका दायर करने के आदेश दिए गए। इस आदेश के साथ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस जी.एम. मोहियुद्दीन की खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक स्थगित कर दी।
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मध्याह्न भोजन याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया
विद्यालयों में विद्यार्थियों को प्रमाण के आधार पर मध्याह्न भोजन दिया जा रहा है या नहीं, इस मामले को लेकर के. अखिल श्री गुरुतेज ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से दलील देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता चिक्कुडू प्रभाकर ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण और निर्धारित प्रमाण के आधार पर भोजन उपलब्ध न करवाने से हाल ही में एक विद्यालय में 111 विद्यार्थी अस्वस्थ हो गए थे।
इस पर सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मो. इमरान खान ने हस्तक्षेप कर कहा कि घटना के संबंध में दोषियों को सरकार ने सेवा से निलंबित कर दिया है और इस घटना के संबंध में पूर्ण विवरण के साथ प्रतियाचिका भी दायर की गई। इस प्रकार की अन्य घटनाओं पर भी प्रतियाचिका दायर की जाएगी। वर्ष 2022 के दौरान जारी सरकारी आदेश के अनुसार, एक विद्यार्थी के लिए मध्याह्न भोजन हेतु मासिक 1,500 रुपये आवंटित किए गए।
आवंटन में वृद्धि करने के मामले में सरकारी आदेश जारी होने पर इसकी प्रति अदालत में पेश की जाएगी। विद्यार्थियों को मुर्गी के अंडे की आपूर्ति हेतु 6 करोड़ रुपये के निविदा संबंधी मामले के अदालत में विचाराधीन होने के कारण इसमें देरी हुई है, लेकिन मामला खारिज करने के बाद निविदा प्रक्रिया को अमल में लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 1,100 गुरुकुल पाठशालाओं की स्थापना के लिए सरकार प्रयास कर रही है। इस संबंध में पूर्ण विवरण के साथ प्रतियाचिका दायर करने के लिए कुछ समय देने का आग्रह किया। दलील सुनने के पश्चात खण्डपीठ ने सरकार से जवाब प्राप्त करने हेतु मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक स्थगित कर दी।
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