तेलंगाना का कर्ज़ 500% बढ़ा

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हैदराबाद, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा राज्य वित्त 2022-23 पर प्रकाशित प्रकाशन के अनुसार, पिछले एक दशक में तेलंगाना का कर्ज़-भुगतान बोझ कई गुणा बढ़ गया है। 2014 में जब राज्य का गठन हुआ था, तब वार्षिक ब्याज भुगतान 5,227 करोड़ रुपये था। 2022-23 तक यह आँकड़ा बढ़कर 21,821 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछली बीआरएस सरकार के दौरान लिए गए भारी उधारी के प्रभाव को दर्शाता है।

  • राज्य के गठन के समय वार्षिक ब्याज भुगतान 5,227 करोड़ रुपये
  • 2022-23 तक ब्याज भुगतान बढ़कर 21,821 करोड़ रुपये
  • राज्य का बकाया ऋण 2022-23 में 3,09,563 करोड़ रुपये

हाल ही में नई दिल्ली में राज्य वित्त सचिवों के वार्षिक सम्मेलन में जारी की गई कैग की रिपोर्ट (2013-14 से 2022-23 तक) पिछले 10 वर्षों का एक व्यापक आकलन है। जून 2014 में अस्तित्व में आए तेलंगाना के लिए यह आँकड़े 2014-15 से नौ वित्तीय वर्षों तक फैले हुए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 राज्यों में 2022-23 में वेतन सबसे बड़ा व्यय था। उसके बाद पेंशन और ब्याज भुगतान का स्थान है। हालाँकि तेलंगाना उन नौ राज्यों में से एक था जहाँ ब्याज की देनदारियाँ पेंशन से अधिक थीं। रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य का बकाया ऋण 2014-15 में 77,333 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 3,09,563 करोड़ रुपये हो गया, जो ऋण में तीन गुना या 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

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तेलंगाना का बढ़ता कर्ज़, ब्याज और घाटे का दबाव

इस तीव्र वृद्धि के साथ-साथ सरकारी गारंटी द्वारा समर्थित निगमों के माध्यम से देनदारियाँ भी बढ़ीं, जो 2014-15 में 18,265 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 तक 1,98,244 करोड़ रुपये हो गईं। यह लगभग 10 गुणा या 985 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। समग्र स्तर पर राज्य सरकार और निगमों के खातों में ऋण को मिलाकर बकाया ऋण 2014-15 के 95,598 करोड़ रुपये से बढ़कर 5,07,807 करोड़ रुपये हो गए हैं, जो ऋण में पाँच गुना या 500 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

बढ़ते ऋण के कारण साल-दर-साल ब्याज भुगतान में वृद्धि हुई है, जिससे राजस्व व्यय का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो रहा है। 2015-16 के 7,558 करोड़ रुपये से यह आँकड़ा लगातार बढ़कर 2021-22 में 19,161 करोड़ रुपये हो गया और अंतत 2022-23 में 21,821 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। वेतन और पेंशन में भी तेज़ी से वृद्धि हुई है। कर्मचारी वेतन 2014-15 में 10,639 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 25,769 करोड़ रुपये हो गया है और पेंशन 4,201 करोड़ रुपये से बढ़कर 15,816 करोड़ रुपये हो गई है, जिससे पूंजीगत खर्च की गुंजाइश काफी कम हो गई है।

तेलंगाना ने राजस्व-अधिशेष राज्य के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। बीआरएस शासन के तहत तीन वर्षों तक राजस्व घाटे का सामना करता रहा। 2014-15 में इसने 369 करोड़ रुपये का अधिशेष दर्ज किया, जबकि 2019-20 में यह 6,254 करोड़ रुपये के घाटे में चला गया, जो 2020-21 में और बिगड़कर 22,298 करोड़ रुपये हो गया। हालाँकि बाद में स्थिति में सुधार हुआ और 2023-24 में 5,944 करोड़ रुपये का अधिशेष दर्ज किया गया। राजकोषीय घाटा पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है, जो 2014-15 में 9,410 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 49,038 करोड़ रुपये हो गया, तथा 2022-23 में घटकर 32,557 करोड़ रुपये हो गया।

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