खिलाकर खुश होने वालों के भरे रहते हैं भंडार : चन्द्रप्रभजी

हैदराबाद इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, कुछ खाकर खुश होते हैं, तो कुछ खिलाकर। जो खाकर खुश होते हैं, वह सदा औरों पर आश्रित रहते हैं, पर जो खिलाकर खुश होते हैं, उनके भंडार प्रभु कृपा से सदा भरे रहते हैं। उक्त उद्गार सिकंदराबाद स्थित 19 रेजिडेंसी टॉवर में श्री सुमित पार्श्वनाथ जैन संघ द्वारा आयोजित प्रवचन के दौरान राष्ट्र संत चंद्रप्रभजी म.सा. ने व्यक्त किये। समिति के प्रदीप सुराणा एवं अशोक कुमार नाहर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, संतश्री ने कहा कि संत के दो धर्म हैं ज्ञान और ध्यान।
इसी तरह गृहस्थ के दो धर्म हैं दान और पूजा। इंसान केवल मेहनत और बुद्धि से आगे नहीं बढ़ता। मेहनत करने वाला मजदूर चार सौ रुपये कमाता है, तो बुद्धि रखने वाला इंजीनियर चार हजार रुपये, पर कोई अगर प्रतिदिन लाखों रुपये कमा रहा है, तो इसका मतलब उसकी पुण्याई प्रबल है। पुण्याई दान देने से बढ़ती है। प्रकृति में हर चीज लौटकर आती है। जो मानवता के नाम दस रुपये लगाता है, भगवान उसे हजार गुना करके लौटाता है।
हर व्यक्ति जीवन में दान देने की आदत डाले। चाहे थोड़ा ही दो, पर रोज दो। जो करना है अपने हाथों से करके जाना। कल का कोई भरोसा नहीं है। हमारे पीछे हमारे नाम पर दान-पुण्य होगा इस बात पर भरोसा मत करना। संतश्री कहा कि लक्ष्मी और सरस्वती की कृपा सदा वहाँ बरसती है, जहाँ इनका सदुपयोग होता है। जो दो हाथों से दान देते हैं, विधाता उनकी हजार हाथों से झोलियां भरता है। दान देने से रुपये कम होते हैं, पर लक्ष्मी की कृपा दुगुनी बरसती है।
परोपकार और दान से जीवन में समृद्धि बढ़ाएँ
जैसे धरती में एक बीज बोया जाए, तो प्रकृति हजार गुना लौटाती है, वैसे ही दान और कुछ नहीं, समृद्धि पाने का इन्वेस्टमेंट है, जो कई गुना होकर वापस लौट आता है। याद रखें, परोपकार से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है और पीड़ा से बढ़कर कोई पाप नहीं। जैसे बिना डॉक्टर का अस्पताल, बिना मूर्ति का मंदिर, बिना ब्रेक की गाड़ी, बिना पैसे का पर्स, बिना पानी की नदी बेकार है, वैसे ही परोपकार बिना जीवन बेकार है। अगर हम यहाँ किसी का अच्छा कर रहे होते हैं, तो मान कर चलिए ऊपर वाला हमारे लिए भी अच्छा कर रहा होता है।
राष्ट्र संत ने कहा कि दूध का सार मलाई है, पर जीवन का सार भलाई है। हाथ से फेंका गया पत्थर 100 फीट दूर जाता है, बंदूक से दागी गई गोली 500 फीट दूर जाती है, तोप से छोड़ा गया गोला 5000 फीट दूर जाता है, पर गरीब को खिलाई रोटी ठेठ स्वर्गलोक तक जाती है। अगर हम औरों का भला करेंगे, तो हमारा लाभ अपने आप बढ़ता जाएगा। हमें शुभ लाभ के साथ शुभ खर्च भी करना चाहिए।

अगर आपके ऊपर ग्रह-गोचर भारी है, तो रोज दो रोटी गुड़ के साथ गौ माता को खिलाइए, आपके सारे ग्रह अनुकूल हो जाएँगे। अगर आपको दुश्मनों से डर लगता है, तो कुत्ते को दूध के साथ रोटी खिलाइए। अगर आप धन की आवक बढ़ाना चाहते हैं, तो रोज पक्षियों को 10 रुपये के दाने डालिए या किसी मटके या कुंडे में पानी डालकर छत पर रख दीजिए। अगर आपके ऊपर कोई कर्ज है, उसे उतारना चाहते हैं, तो रोज कीड़ी नगरा सींच कर आ जाइए। आमदनी के नए रास्ते खोलने हैं, तो मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाइए। आपके जीवन में कोई भी रुकावट आ रही है, आप दान धर्म कीजिए, सारे समाधान स्वत होते जाएँगे।
संत चंद्रप्रभजी ने दान और प्रार्थना का महत्व बताया
चन्द्रप्रभजी ने कहा कि दान के अनेक प्रकार हैं- अन्नदान, वस्त्रदान, ज्ञानदान, रक्तदान, नेत्रदान, श्रमदान आदि। जब भी दान दें तो पुरानी, खराब, गंदी, बिना काम की वस्तुएँ देने की बजाय उत्तम, श्रेष्ठ, नई और ताजी वस्तुओं का दान करें, ताकि हमें उत्तम परिणाम प्राप्त हो सकें। संतप्रवर ने कहा कि अगर घर के सभी लोग सुबह उठकर सामूहिक प्रार्थना करेंगे, तो पूरे घर का आभामण्डल ठीक रहेगा। अगर हमारे जीवन या घर पर ग्रह-गोचरों का नकारात्मक प्रभाव है, तो वह प्रार्थना करने से दूर हो जाएगा।
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कार्यक्रम में घेवरचंद सुराणा, सुरेश रामाणी, भेरूलाल ढेलड़िया, अशोक कुमार सालेचा, अशोक कुमार राठौड़, अशोक कुमार चौधरी, मिलापचंद जैन, गजेंद्र जैन, नैनमल जैन, कीर्ति कुमार बंदामुथा, लोक कल्याणकारी चातुर्मास समिति के अध्यक्ष मोतीलाल भलगट, कोषाध्यक्ष मानकचंद्र पोकरणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विमलचंद मुथा, अमित मुणोत, योगेश खर गांधी व अन्य उपस्थित थे। ललितप्रभजी और चंद्रप्रभजी का विशेष प्रवचन शनिवार, 11 अत्तूबर को सुबह 9 से 11 बजे तक नेकलेस प्राइड, कवाड़ीगुड़ा, सिकंदराबाद में होगा। गौतम प्रसादी के लाभार्थी विजय राज, गौतमचंद, महावीरचंद, जम्बू कुमार अलीजार परिवार ने सभी से प्रवचन का लाभ लेने का आग्रह किया।
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