किसी भी चीज की अति ठीक नहीं (बाल कथा)

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प्यारे बच्चों, हम हमेशा से ही सुनते आ रहे हैं कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती। मतलब अगर हम किसी भी चीज का ज्यादा उपयोग करते हैं तो फिर हमें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। ऐसा ही कुछ मोनू बंदर के साथ भी हुआ। मोनू बंदर कक्षा 7 का होशियार विद्यार्थी था लेकिन उसकी एक बहुत ख़राब आदत थी कि वह हर रोज़ स्कूल से आने के बाद घंटों टीवी के सामने बैठा रहता था। उसके मम्मी-पापा उसे बार-बार समझाते और कहते, बेटा, ज़्यादा टीवी नहीं देखना चाहिए।

आंखें खराब हो जाएंगी और पढ़ाई का भी नुकसान होगा। पर मोनू उनकी बातों को अनसुना कर देता। मम्मी-पापा उसे बहुत प्यार करते थे, इसलिए ज़्यादा डाँटते भी नहीं थे। एक दिन रोज़ की तरह मोनू टीवी देख रहा था। तभी अचानक उसकी गर्दन और सिर में तेज़ दर्द होने लगा। दर्द इतना बढ़ गया कि वह रोते हुए चिल्लाने लगा -मम्मी-मम्मी! नीतू बंदरिया दौड़कर आई और घबराई हुई बोली-क्या हुआ बेटा? मोनू ने बिलखते हुए कहा -मम्मी, मेरी गर्दन और सिर में बहुत दर्द हो रहा है।

मम्मी ने तुरंत बाम लगाया, पर दर्द कम नहीं हुआ। वह और भी परेशान हो गया। तब मम्मी उसे लेकर डॉक्टर डंपू हाथी के पास पहुँची। डंपू डॉक्टर ने ध्यान से उसका चेकअप किया और कहा – मोनू की गर्दन की नसों में तनाव और सूजन है। यह समस्या तब होती है जब कोई बच्चा लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठकर टीवी देखता है कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर खेलता है। मम्मी ने घबराकर कहा – डॉक्टर साहब, मोनू तो रोज़ घंटों टीवी ही देखता रहता है। शायद इसी वजह से परेशानी हुई होगी।

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टीवी की अति से पढ़ाई और सेहत पर पड़ा असर

डॉक्टर ने सिर हिलाते हुए कहा- जी हाँ, यही कारण है। मैं दवा लिख देता हूँ। पर दवा से ज़्यादा ज़रूरी है कि मोनू अपनी आदत सुधारे। टीवी कम देखे, समय पर पढ़ाई करे और थोड़ा व्यायाम भी करे। तभी यह समस्या ठीक होगी। डॉक्टर की बातें सुनकर मोनू को अपनी गलती समझ में आ गई। उसने मन ही मन ठान लिया – अब मैं अपनी आदत बदलूँगा। पढ़ाई और सेहत दोनों पर ध्यान दूँगा। टीवी देखने में अति कभी नहीं करूँगा।

शाम को जब पापा को सब पता चला तो उन्होंने प्यार से कहा- बेटा, हम पहले ही कहते थे कि अति हर चीज़ की बुरी होती है। टीवी देखने में भी अति मत करो। इससे पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों बिगड़ते हैं। मोनू ने झट से जवाब दिया -हाँ पापा, अब मैं आपकी बात मानूँगा। टीवी ज़रूर देखूँगा, लेकिन सीमित समय के लिए। पढ़ाई और खेल-कूद भी करूँगा। यह सुनकर मम्मी-पापा बहुत खुश हुए और मोनू को गले से लगा लिया।

-हरप्रसाद रोशन

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