साध्वी गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में ज्ञानशाला रिफ्रेशर कोर्स से प्रशिक्षिकाएँ प्रेरित

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हैदराबाद, महासभा ज्ञानशाला प्रकोष्ठ के निर्देशन व सिन्कदराबाद सभा के तत्वावधान में ज्ञानशाला रिफ्रेशर कोर्स उपलब्धियाँ सम्पन्न हुआ। राजेन्द्र बोथरा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि साध्वी डॉ. गवेषणाश्रीजी आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में कार्यशाला का समायोजन हुआ, जिसमें 100 प्रशिक्षिकाओं ने भाग लिया। विभिन्न सत्रों में विभाजित दो दिन की रिफ्रेशर कार्यशाला में जैन धर्म, तेरापंथ दर्शन, साध्य-साधन लौकिक व लौकोत्तर धर्म, ज्ञानशाला राष्ट्रीय नेटवर्क व प्रारूप के विशद विवेचन के साथ पाठ्यक्रम की वार्षिक योजना व प्रशिक्षण पद्धति का पावर प्वाइंट द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण हेतु ज्ञानशाला राष्ट्रीय संयोजक सोहन राज चोपड़ा, राष्ट्रीय प्राध्यापक डालमचंद नौलखा, पाठ्यक्रम समिति सदस्य रत्ना कोठारी एवं परीक्षा व्यवस्थापक सुरेंद्र लूणिया अहमदाबाद और मुंबई से पधारे। साध्वी डॉ. गवेषणाश्रीजी व मयंकप्रभाजी ने ज्ञान की समीक्षा व ज्ञानशाला की उपयोगिता व क्यों जरूरी है, जैनत्व के संस्कार, ज्ञानशाला संचालन में प्रशिक्षिकाओं का उत्तरदायित्व विषय पर प्रशिक्षण प्रदान करवाया।

साध्वीश्री ने एक-एक प्रशिक्षिकाओं की निस्वार्थ सेवाओं का अंकन करते हुए उनके ज्ञान को परिष्कार करने के लिए अमूल्य प्रेरणा प्रदान की। ज्ञान का अगर समय-समय पर पुनरावर्तन किया जाए और ज्ञान को कंठस्थ किया जाये, तो महत्व अधिक होता है। प्रशिक्षिका अपने सद्संस्कारों से उसी के अनुरूप अच्छा संस्कार दे सकती है। बच्चे अनुकरणशील होते हैं। बच्चों को जन्म से ही संस्कार का पोषण मिल जाए, तो वह अच्छे नागरिक और धर्म संघ के सुश्रावक बन सकते हैं।

अनुगूंज मंचीय प्रस्तुति और भिक्षु कला प्रदर्शनी

कार्यशाला का विशेष आकर्षण रहा अनुगूंज ज्ञानशाला की मंचीय प्रस्तुति, जिसमें 2003 से 2025 तक के ज्ञानशालय के विकास को डिजिटल और फिजिकल कोंबो के रूप में दर्शाया गया। नुक्कड़ नाटिका द्वारा ज्ञानशाला का महत्व, अभिभावकों के योगदान का प्रस्तुतीकरण हुआ। नन्हे मुन्ने ज्ञानार्थियों द्वारा सुंदर अभिव्यक्तियाँ प्रस्तुत की गयीं और ज्ञानशाला पर शिक्षिकाओं द्वारा ज्ञात अनुज ज्ञानशाला गीत का शानदार मंचन हुआ।

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इसके साथ ही दो दिवसीय कार्यशाला में आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्द के उपलक्ष्य में भिक्षु कला मंजरी प्रदर्शनी आयोजित की गयी, जिसमें प्रशिक्षिकाओं द्वारा आचार्य भिक्षु के जीवन से सम्बंधित हस्त निर्मित कलाकृतियों व पच्चीस बोल चित्रकला प्रदर्शनी लगाई गयी। कला मंजरी का उद्घाटन राष्ट्रीय संयोजक सोहन राज चोपड़ा द्वारा किया गया।

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अवसर पर तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष करणी सिंह बरड़िया, नवरतन सेठिया, अशोक संचेती, बाबूलाल बैद, सुरेश सुराणा, जैन वेल्फेयर सोसाइटी के चेयरपर्सन महेंद्र भंडारी, महामंत्री मनोज दुग्गड़, नवीन दस्साणी, महासभा के लक्ष्मीपत बैद, अशोक नाहटा, तेरापंथ महिला मंडल, टीपीएफ अध्यक्ष वीरेंद्र घोषाल, युवक परिषद अध्यक्ष राहुल गोलेच्छा व अन्य की उपस्थिति रही। विभिन्न सत्रों, कला मंजरी व अनुगूंज संचालन में परामर्शदाता अंजू बैद, संगीता गोलेच्छा, सीमा दस्साणी, प्रभा नाहटा, सरिता नखत, डिम्पल बैद, वीनू नाहटा, हेमा बांठिया, जूली दीपमाला, निशा दुग्गड़, प्रमिला, यशोदा व अन्य का सहयोग रहा। आभार ज्ञापन सरोज लोढ़ा व हेमंत संचेती ने जताया।

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