मानसून में मन और मस्तिष्क में संतुलन बनाता है वृक्षासन

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वृक्षासन या ट्री पोज खड़े होकर किया जाने वाला एक ऐसा योगासन है, जो तन और मन के बीच बहुत अच्छी तरह से संतुलन साधने में कारगर होता है। यह शरीर में संतुलन के साथ-साथ एकाग्रता और स्थिरता विकसित करता है। यूं तो हर मौसम में इस योगासन के फायदे हैं, लेकिन बारिश के मौसम में यह विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। क्योंकि बारिश के मौसम में नमी और सुस्ती से उत्पन्न शारीरिक व मानसिक जड़ता को दूर करने में यह आसन सर्वाधिक कारगर है।

वर्षा ऋतु में वृक्षासन के फायदे

चूंकि बारिश के दिनों में वातावरण भारी रहता है। वातावरण में नमी बहुत ज्यादा होती है। इस कारण शरीर आलस से भरा रहता है और मानसिक स्थिति चंचल रहती है। ऐसे में वृक्षासन मस्तिष्क को शांत करता है और मन की एकाग्रता बढ़ाता है। इन दिनों नमी से जोड़ों में अकसर अकड़न और दर्द रहता है। ऐसे में यह आसन पैरों, घुटनों और टखनों की ताकत बढ़ाता है। चूंकि बारिश के मौसम में व्यायाम की कमी हो जाती है, इसलिए इस मौसम में रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने और उसमें लचीलापन बनाये रखने के लिए यह आसन बहुत कारगर है।

बारिश के मौसम में मानसिक अवसाद भी बढ़ जाता है, क्योंकि लगातार बारिश होने की वजह से धूप की कमी होने से मूड स्विंग या डिप्रेशन आसानी से हो जाता है। यह आसन ऑक्सीजन को बेहतर बनाकर मन को शांत करता है। वृक्षासन पेड़ की तरह शरीर को स्थिर रखने के कारण शरीर की अंतस्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक असर डालता है और हार्मोनल संतुलन तथा तंत्रिका प्रणाली को मजबूत बनाता है। बारिश के ठंडे और नम वातावरण में आमतौर पर रक्तप्रवाह धीमा हो जाता है। ऐसे में वृक्षासन हमारे रक्तसंचार को सुचारू बनाये रखने में मदद करता है।

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सही ढंग से कैसे करें

सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएँ, दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाकर रखें और हाथों को शरीर के पास रखें। इसके बाद बायें पैर पर संतुलन बनाएं और दायें पैर को मोड़कर उसके तलवे को बाई जांघ के अंदर लगाएं या घुटने के नीचे पिंडली पर रखें पर याद रखें, घुटने पर नहीं रखना। इसके बाद दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में आपस में जोड़ लें, हाथ जोड़कर उन्हें छाती के सामने उसके थोड़े ऊपर या सिर के ऊपर रखें। इस दौरान आपकी दृष्टि एक निश्चित बिंदु पर स्थिर रहनी चाहिए। सांस सामान्य हो और शरीर में पूरी तरह से संतुलन हो। 30 सेकंड से 1 मिनट तक इसी मुद्रा में रहने की कोशिश करें। फिर धीरे-धीरे दायें पैर को नीचे रखें और यही प्रािढया दूसरी ओर से दोहराएं।

वृक्षासन के वैज्ञानिक फायदे

इससे मस्तिष्क का सेरिबैलम व फ्रंटल लोब की सािढयता बढ़ती है, जो एकाग्रता और संतुलन बनाने में मदद करता है। इससे हैमस्ट्रिंग्स, कॉफ मसल्स और कोर मसल्स सािढय होती हैं, जिससे स्थिरता और शक्ति मिलती है। वृक्षासन करने से धीमी व गहरी श्वांस हमारे फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाती है तथा इससे हृदय का पैरासिम्पैथेटिक नर्व सिस्टम सािढय रहता है, जिससे हृदय की गति स्थिर रहती है। इससे अंतस्रावी तंत्र हाइपोथैलेमस तथा पिट्यूटरी ग्लैंड को शांत करता है, फलस्वरूप कोर्टिसोल यानी तनाव हार्मोन घटता है और इससे पैरों में रक्तसंचार बेहतर होता है, जिससे पैरों में नमीजनित अकड़न में राहत मिलती है।

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वृक्षासन करते समय बरतें कुछ सावधानियां

-इस मौसम में ज्यादातर जगहें फिसलनभरी हो जाती हैं, इसलिए गिरने की आशंका बनी रहती है। लेकिन आपको वृक्षासन करने के लिए जगह का चुनाव करते समय इस बात को खास तौरपर ध्यान रखना होगा कि उस जगह फिसलने की कोई आशंका न हो।

-वृक्षासन कभी भी भरे पेट की स्थिति में न करें, हमेशा यह आसन खाली पेट स्थिति में ही हो सकता है। अगर भरे पेट करेंगे, तो कई पाचन संबंधी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं।


-शुरुआत में इसे करते समय दीवार का सहारा ले लेना चाहिए ताकि संतुलन साधने का अभ्यास आसानी से हो जाए। यह आसन करते समय पैर घुटने पर न रखें, इससे घुटनों को नुकसान हो सकता है।

कुल मिलाकर वृक्षासन वर्षा ऋतु में अगर विशेष तौरपर लाभदायक है, तो ये लाभ तभी मिलेंगे, जब आप इसे पूरी सजगता से करें। याद रखिए, हार्मोन संतुलन बनाये रखने के लिए यह आसन बेहद प्रभावी है। यह आसन हमें प्रकृति की तरह स्थिर, संतुलित और जड़ से जुड़ा हुआ बनाता है।

-दिव्यज्योति नंदन

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