जम्मू-कश्मीर के हिस्से पर पाक का अवैध कब्जा : भारत

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नई दिल्ली, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिम द्वारा वैश्विक नियमों को चुनिंदा तरीके से लागू किये जाने पर प्रकाश डालते हुए मंगलवार को कहा कि भारत ने 1948 से जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान के सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे को सहन किया, जबकि इस आक्रमण को विवाद बना दिया गया।

रायसीना डायलॉग के एक संवाद सत्र में जयशंकर ने मौजूदा विश्व व्यवस्था की खामियों के बारे में बात करते हुए कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक नियम कभी भी समान रूप से लागू नहीं होते। विदेश मंत्री ने यह टिप्पणी थ्रोन्स एंड थॉर्न्स: डिफेंडिंग द इंटीग्रिटी ऑफ नेशन्स विषय पर आयोजित सत्र में की, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया गया।

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वैश्विक नियमों के असमान उपयोग और कश्मीर पर जयशंकर की टिप्पणी

जयशंकर ने तर्क दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक नियमों के असमान इस्तेमाल के उदाहरण सामने आए हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे का हवाला दिया और कहा कि हमलावर और पीड़ित को एक ही श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा भारत के कश्मीर से संबंधित है।

जयशंकर ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र गए। जो आक्रमण था उसे विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को एक ही श्रेणी में रखा गया। दोषी पक्ष कौन थे। माफ करें, उस पुराने आदेश पर मेरे कुछ सवालिया निशान हैं। अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने एक मजबूत और निष्पक्ष संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की वकालत की और कहा कि वैश्विक मानदंडों और नियमों को समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमें एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है, लेकिन एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र के लिए एक निष्पक्ष संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता है। एक मजबूत वैश्विक व्यवस्था में मानकों में कुछ बुनियादी स्थिरता होनी चाहिए। विदेश मंत्री ने मौजूदा विश्व व्यवस्था की समीक्षा का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पिछले आ दशकों में विश्व के कामकाज का लेखा-जोखा रखना और इसके बारे में ईमानदार होना महत्वपूर्ण है तथा आज यह समझना भी जरूरी है कि विश्व में संतुलन और अंशधारिता बदल गई है।(भाषा)

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