व्यवहार होता है हमारे जीवन की बुनियाद : रमेशजी

हैदराबाद, व्यवहार हमारे जीवन की बुनियाद होता है। जितना अच्छा व्यवहार होगा, बुनियाद उतनी ही गहरी होगी। इससे हमारे आंतरिक विकास की इमारत इतनी मजबूत होगी कि वह कभी हिल नहीं सकेगी। उक्त उद्गार नामपल्ली स्थित होटल क्वालिटी इन रेसिडेंसी में आज आयोजित सत्संग में रमेशजी ने व्यक्त किए।


रमेशजी ने कहा कि हमें जीवन में छोटी-छोटी खुशियों को अर्जित करते हुए उन्हें बरकरार रखने का प्रयास करना चाहिए। हमें जीवन में अच्छा व्यवहार करने का अभ्यास करते हुए किसी के प्रति नकारात्मक भाव नहीं रखना चाहिए। नकारात्मक भाव श्राप के समान होता है। हमको अगर सुख-शांति से रहना है, तो विवेक बुद्धि का प्रयोग करते हुए ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे यह भंग हो जाए। हमारी एक गलत प्रतिक्रिया कई लोगों को अपनी चपेट में ले लेती है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार शांत झील या तालाब में कंकड़ फेंकने से कई तरंगें उत्पन्न हो जाती हैं। इसलिए किसी के साथ भी व्यवहार करते हुए सजग और सचेत रहते हुए संतुलित व्यवहार करना चाहिए। जीवन में कई चीजों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
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आगे के जन्मों में पड़ता है हमारे व्यवहार का प्रभाव
रमेशजी ने कहा कि हमारी सोच तथा भावना सभी के लिए ऐसी होनी चाहिए कि हर कोई हमें अपने हृदय में स्थान दे। हमारा यह एक ही जीवन नहीं है। हमारे कर्मों तथा व्यवहार का प्रभाव आगे के जन्मों में भी पड़ता है। इसलिए हमें व्यवहार को लेकर समय रहते सजग हो जाना चाहिए। बाहर का व्यवहार हमारे जीवन के लिए नींव की तरह होता है। जितना अच्छा व्यवहार होगा, नींव उतनी ही सुदृढ़ होगी।
रमेशजी ने कहा कि जमीन के अंदर गहरी तथा मजबूत जड़ों वाले पेड़ आंधी-तूफान में पहले नहीं गिरते। हमारे जीवन की जड़ें हमारी सोच तथा व्यवहार होता है। इन्हें इतना गहरा तथा मजबूत कर देना चाहिए कि भूकंप तथा सुनामी रूपी स्थितियों में भी न गिरने पाए। रमेशजी ने कहा कि मनुष्य जीवन जीने की कला है कि बाहर से सांसारिक तथा भीतर से आध्यात्मिक होना चाहिए। इससे हम जीवन के साथ अगले जीवन को भी सार्थक कर सकते हैं।
गुरु माँ ने दीपावली के पहले तथा बाद में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे हमें यह सीख मिलती है कि अगर किसी भी चीज में खुशी में निरंतरता बनाए रखनी है, तो उसको लंबे समय तक बनाए रखना चाहिए। जब हम अधिक समय तक प्रसन्नता का आनंद लेते हैं, तो उसका हमारे मन और मस्तिष्क पर दीर्घकालिक सकारात्मकप्रभाव पड़ता है। गुरु माँ ने कहा कि हमें छोटी-छोटी चीजों में खुशियाँ तलाशनी चाहिए, इससे हमारा जीवन मस्ती भरा रहेगा। इसके साथ ही गुरु के प्रति समर्पित रहकर उसके द्वारा प्रदत्त ज्ञान को उसी प्रकार जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
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