शिवलिंग को चंदन अर्पित करने के स्थान

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(पूजा-पाठ)

सावन का महीना आते ही मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। हर कोई भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ, व्रत और जल अर्पण करता है। सावन के शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शहद और गंगाजल चढ़ाकर भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने की कोशिश करते हैं। शिवलिंग पर चंदन लगाने की एक खास परंपरा है। शिवलिंग पर सात स्थानों पर चंदन लगाया जाना चाहिए।

चंदन शिवलिंग के अरघे पर लगाया जाता है। यही वह स्थान है, जिसे भगवान शिव का मुख्य रूप माना जाता है। इस स्थान पर चंदन लगाने से मन शांत होता है और मनोकामनाएं पूरी होने की राह बनती है।
जलाधारी
शिवलिंग के नीचे जहां से जल बाहर निकलता है, उसे जलाधारी कहा जाता है। इसे माता पार्वती से जोड़कर देखा जाता है। इस स्थान पर चंदन लगाने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
गणेश
शिवलिंग के दाहिनी ओर जलाधारी के ऊपरी हिस्से को गणेश का स्थान माना जाता है। गणेश विघ्नों को दूर करते हैं। यहां चंदन लगाने से जीवन में कार्यों में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
कार्तिकेय
शिवलिंग के बायीं ओर जलाधारी का ऊपरी भाग कार्तिकेय का माना जाता है। वह पराम और साहस के देवता हैं। इस स्थान पर चंदन लगाने से आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।

अशोक सुंदरी
शिव और पार्वती की पुत्री अशोक सुंदरी के लिए जलाधारी से निकलते जल के मार्ग को समर्पित माना जाता है। यहां चंदन लगाने से परिवार में शांति और समफद्धि बनी रहती है।

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शिव परिवार को प्रसन्न करने की चंदन पूजा

नंदी
नंदी शिव के वाहन हैं, जो शिवलिंग के सामने तपस्या करते हुए बैठे रहते हैं। मान्यता है कि उनके दोनों सींगों पर चंदन लगाने से शिव तक आपकी प्रार्थना पहुंचती है। यह भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
शिवलिंग का पिछला भाग
शिवलिंग के पीछे वाले हिस्से पर चंदन लगाना जरूरी माना जाता है। यह स्थान संपूर्ण श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। इससे शिव जी के साथ-साथ उनका पूरा परिवार प्रसन्न होता है।

पूजा खास
यह पूजा केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि इसमें गहरा भाव जुड़ा होता है। जब भक्त पूरी श्रद्धा से इन सात स्थानों पर चंदन लगाता है, तो वह भगवान शिव के पूरे परिवार को नमन करता है।

यही कारण है कि ऐसी पूजा से न सिर्फ भोलेनाथ, बल्कि गणेश, कार्तिकेय, पार्वती, अशोक सुंदरी और नंदी भी प्रसन्न होते हैं। इसका सीधा असर भक्त के जीवन पर पड़ता है। भक्त को मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, आर्थिक सुधार और स्वास्थ्य लाभ मिलता है और यही हम सभी चाहते हैं।

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