हैदराबाद, सिकंदराबाद मारुति विधि जैन स्थानक में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए पूज्य साध्वीरत्ना डॉ. श्री सुमंगलप्रभाजी म.सा ने कहा कि चातुर्मास हम सभी को संसार सागर से तिराने के लिए आया है। प्रतिवर्ष तीन चातुर्मास आते हैं। शीतकालीन, ग्रीष्मकालीन और वर्षाकालीन। इनमें सर्वोपरि चातुर्मास वर्षाकालीन है जो वर्षा ऋतु से प्रारंभ होकर चार माह चलेगा। चातुर्मास के दौरान धर्म की आराधना, साधना में जुट जाना चाहिए।
म.सा. ने आगे कहा कि चौमासा प्रारभ हो गया है। जैन साधु साध्वी की विहार यात्रायें अब रुक गई हैं। संतजन चार महीने तक एक ही स्थान पर रहेंगे। साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका के लिए चौमासा में तीन मुख्य उद्देश्य हैं। पहला जीव दया करना। दया धर्म का मूल है। अहिंसा परमो धर्म। दूसरा है धर्म जागरण करना। चार माह लगातार धर्म जागरण करते हुए सुसुप्त अवस्था का त्याग करें। तीसरा उद्देश्य है चातुर्मास के दौरान तप साधना करना।अधिक से अधिक तप जप से धर्म आराधना से स्वाध्याय प्रतिक्रमण को जीवन में ग्रहण करना है।
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श्रावकों के चार स्वरूपों की प्रेरणादायक व्याख्या
म.सा. ने कहा कि चार प्रकार के श्रावक का वर्णन है पहला श्रावक जिसे अम्मा-पियरो की उपाधि देते हैं। आप हमारे माता पिता के तुल्य हो। दूसरे श्रावक है भाई समान यानी भाई के समान श्रावक होते हैं। तीसरा श्रावक है मित्र के समान। साधु साध्वी भगवंत की मित्रता निर्वाह करते हैं। कोई भी गलती हो जाए तो उस समय ध्यान रखते हैं। चौथे श्रावक होते हैं कांटे के समान, जो पीड़ा देते हैं। इसलिए अम्मा पियरो, भाई और मित्र इन तीन प्रकार के श्रावक बनें। कांटे वाले श्रावक न बनें।
अवसर पर संघपति संपतराज कोठारी, अध्यक्ष गौतमचंद गुगलिया ने पधारे हुए सभी का स्वागत किया। सभा का संचालन करते हुए महामंत्री सुरेन्द्र कटारिया ने बताया कि आज से नवकार महामंत्र का जाप प्रात 7 बजे से सायंकाल 4 बजे तक प्रतिदिन रहेगा। कई परिवारों ने इसमें सहजोड़े भाग लिया। तपस्या की कड़ी में आज रोशनलाल पितलिया और उनकी धर्मपत्नी जेठी बाई पितलिया ने तेले तप के प्रत्यख्यान लिए। आज के नमस्कार महामंत्र की प्रभावना का लाभ धर्मीचंद गजेन्द्र तातेड़ परिवार ने लिया।
