स्थानीय निकाय चुनाव पर निर्णय स्पष्ट करें : हाईकोर्ट
हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को यह स्पष्ट करने का आदेश जारी किया कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण में वृद्धि को अस्वीकार किए जाने के मद्देनजर स्थानीय निकाय चुनाव पर क्या निर्णय लिया गया है। अदालत ने बताया कि संविधान के अनुसार, 6 माह के भीतर चुनाव करवाने के लिए अदालत अंतरिम आदेश जारी किए, वहीं चुनाव आयोग सरकार के निर्णय की बाट जो रहा है। अदालत ने सभी तथ्यों को जानते हुए भी स्थानीय निकाय चुनाव पर निर्णय न लेने के कारण राज्य सरकार को फटकार लगाई।
अदालत ने कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए चुनाव कब तक संपन्न करवाए जाएँगे, इसका विवरण देने के आदेश दिए। इस आदेश के साथ मामले की सुनवाई 24 नवंबर तक स्थगित कर दी गई। मंचीरियाल ज़िले के लक्षेटीपल्ली निवासी आर. सुरेन्दर ने चुनाव आयोग द्वारा गत 9 अक्तूबर को जारी की गई चुनाव अधिसूचना को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इस याचिका पर पुनः एक बार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस जी.एम. मोहियुद्दीन की खण्डपीठ ने सुनवाई की।
यह भी पढ़ें… उच्च न्यायालय ने खारिज की 3 बच्चों के नियम को लेकर दायर याचिका
उच्च न्यायालय ने सरकार से चुनाव तिथि स्पष्ट करने को कहा
सुनराई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वेंकटय्या ने कहा कि स्थानीय निकायों का कार्यकाल गत जनवरी माह में समाप्त हो गया और इसके बाद पिछले ड़ढ वर्ष चुनाव नहीं करवाए गए। राज्य चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता जी. विद्या सागर ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पिछड़ी जातियों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण रद्द करने के बाद चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा कि अगर 25 प्रतिशत पिछड़ी जातियों के आरक्षण के अनुसार वार्ड आवंटित किए जाए और सूची उपलब्ध कराई जाए, तो आयोग चुनाव कराने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि एकल न्यायाधीश के 30 सितंबर तक चुनाव कराने के आदेश के साथ अधिसूचना जारी की गई थी।
हालाँकि इस न्यायालय ने 42 प्रतिशत पिछड़ी जातियों का आरक्षण रद्द कर दिया है और इसके साथ ही सरकार को पुराने आरक्षण के अनुसार पंचायतों और वार्डों का आवंटन कर सूची उपलब्ध करानी होगी। सरकारी अधिवक्ता साजिया परवीन ने दलील देते हुए कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर शीघ्र ही निर्णय लिया जाएगा और इसके लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दिया जाए, तो पूरी जानकारी का खुलासा किया जाएगा। खण्डपीठ ने हस्तक्षेप कर कहा कि एक सप्ताह का समय देने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन चुनाव कब तय होंगे, यह सवाल करते हुए खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई 24 नवंबर तक स्थगित कर दी।
अब आपके लिए डेली हिंदी मिलाप द्वारा हर दिन ताज़ा समाचार और सूचनाओं की जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया हैंडल की सेवाएं प्रस्तुत हैं। हमें फॉलो करने के लिए लिए Facebook , Instagram और Twitter पर क्लिक करें।




