भारतीय पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण: बौद्धिक चोरी रोकने की पहल

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नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत की प्राचीन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण से ‘‘बौद्धिक चोरी’’ रूकेगी। उन्होंने कहा कि देश की पारंपरिक ज्ञान संपदा से प्राप्त जानकारी की नकल करके अन्य लोगों ने उसका पेटेंट करा लिया है।

‘पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत के ज्ञान धरोहर की पुनःप्राप्ति’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान भारतम पहल ‘‘स्वदेशी’’ और ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ की अवधारणा के साथ आगे बढ़ने के देश के संकल्प का विस्तार है।उन्होंने कहा कि भारत अब सदियों से अपनी पांडुलिपियों में संरक्षित प्राचीन ज्ञान की विरासत को दुनिया के समक्ष गर्व से प्रस्तुत कर रहा है।

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मोदी ने देश भर में मौजूद इन पांडुलिपियों को डिजिटल बनाने के सरकार के लक्ष्य में साथ काम करने के लिए निजी संगठनों की सराहना की और कहा कि अब तक 10 लाख से अधिक पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि भारत थाईलैंड, वियतनाम और मंगोलिया जैसे अन्य देशों के साथ काम कर रहा है, जिनके साथ उसके सांस्कृतिक संबंध रहे हैं और जो ऐसी पांडुलिपियों के मूल स्थान हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन भारत के स्वर्णिम अतीत के पुनर्जागरण का साक्षी है। उन्होंने कहा कि इसकी ज्ञान परंपरा इतनी समृद्ध है क्योंकि यह संरक्षण, नवाचार और अनुकूलन के स्तंभों पर टिकी हुई है। (भाषा)

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