भगवान धन्वंतरि को समर्पित है कार्तिक त्रयोदशी

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पाम पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार कुबेर और आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि को समर्पित है। हर त्योहार अपनी विशेष पहचान बनाए होता है। किसी खास दिन कुछ चीजें खरीदने की परंपरा है, जिससे एक दिन खास सामान की अच्छी तरीके से बिक्री हो सके और वह सामान जरूरत के साथ-साथ दुकानदार वर्ग को भी लाभ पहुंचा सके, जिससे वह अपना व्यापार में संतुलन बनाए रख सकें।

इस अवसर पर स्वदेशी सोना, चांदी और पीतल खरीदना बहुत ही लाभदायक बताया गया है। इस अवसर पर झाड़ू और धनिया भी खरीदना शुभ होता है। हर शख्स अपनी हैसियत के हिसाब से धनतेरस पर कुछ न कुछ बाजार से अवश्य खरीदता है, जिसकी पूजा दीपावली वाले दिन की जाती है। माना जाता है कि खरीदारी करने से कई प्रकार के दोष मिटते हैं तथा आर्थिक समस्या का समाधान होता है।

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इस त्यौहार पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन नए कपड़े और चांदी का सिक्का खरीदने की परंपरा है। साफ-सफाई करके घर को सजाया जाता है, जिसमें रंग-बिरंगी लाइटें, दीये और रंगोली मुख्य होते हैं। मान्यता है कि धन्वंतरि इस दिन समुद्र-मंथन के समय अमृत से भरा हुआ कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है। धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है। उनके द्वारा ही दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार हुआ।

भगवान धन्वंतरि के मंत्र
ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमफतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय,
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री अष्टपा नारायणाय नम।

-के. पी. अग्रवाल

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