कार्तिक पूर्णिमा पर प्रज्वलित करें 365 बाती वाला दीपक

सनातन धर्म ग्रंथों में कार्तिक मास को स्नान, दान और दीप-दान का विशेष महत्व माना गया है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इसलिए इस दिन भक्त विशेष पूजा-पाठ करते हुए 365 बाती वाला दीपक जलाकर पूरे वर्ष की सुख-समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा को 365 बाती का दीपक प्रज्वलित करने से सालभर की सभी पूर्णिमाओं और पूजाओं का फल एक साथ प्राप्त होता है। इस दीपक को घर के मंदिर, तुलसी के पौधे, पीपल के पेड़ या किसी मंदिर में प्रज्वलित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य न सिर्फ धार्मिक आस्था है बल्कि यह प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का भी प्रतीक है। कुछ लोग परंपरा अनुसार 365 दीये पूर्णिमा से एक दिन पूर्व वैकुंठ चतुर्दशी पर भी प्रज्वलित करते हैं।

365 बाती का दीपक बनाने की सामग्री

कच्चा सूत या कलावा, रोली, खील, जल, हल्दी, सूखा नारियल (गोला)।

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विधि

सूखे नारियल को दो भागों में काट लें। एक भाग में देसी घी भरें। कलावा या सूत से 365 बात्तियाँ बनाएँ। सूत 5 धागों का है, तो उसे 73 बार लपेटने से 365 बातियाँ बन जाएँगी। इन बात्तियों को नारियल के घी में रखें। दीपक जलाने से पहले उसके नीचे अक्षत डालें। रोली और हल्दी से तिलक करके उसमें खील डालें। तीन बार जल से प्रक्षालन करें। अब दीपक को प्रज्वलित करके भगवान से पूरे वर्ष की सुख-समृद्धि की कामना करें।

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स्थान चयन

दीपक को तुलसी के पौधे के समक्ष प्रज्वलित करके तुलसी की 108 बार परामा करें। कुछ लोग घर के मंदिर, पीपल, केले या आंवले के पेड़ के नीचे भी दीपक प्रज्वलित करते हैं। पारिवारिक परंपरा और श्रद्धा के अनुसार दीपक प्रज्वलित करने के लिए स्थान चुन सकते हैं।

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