नजरबट्टू है शिव का प्रिय गण

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पौराणिक कथा

अक्सर घरों पर नजरबट्टू लगा रहता होगा, जो दिखने में गोल और काले रंग का होता है। उस मुखौटे पर बड़ी-बड़ी आँखें व लंबे बाहर निकले हुए दांत तथा जीभ भी बाहर निकली होती है। उसके सिर पर दो सींग होते हैं, कान लंबे जो किसी राक्षस की तरह दिखाई देते हैं। मान्यता है कि यह नजरबट्टू बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से घर को बचाता है।

पौराणिक कथा

बहुत समय पहले एक शक्तिशाली असुर था, जिसका नाम जालंधर था। उसने भगवान शिव को युद्ध की चुनौती दी। माता पार्वती को पाने की इच्छा से वह महादेव को युद्ध के लिए ललकार रहा था। महादेव को ललकारने के लिए उसने अपने दूत राहु को कैलाश पर भेजा।

राहु ने शिवजी की बात सुनी तो क्रोध से भर गए। उनकी भयानक क्रोधाग्नि से एक नए जीव का जन्म हुआ, जो न तो पूरी तरह मानव था और ना ही पूरी तरह असुर। उसे शिवजी ने आदेश दिया कि वो राहु को खा जाए, लेकिन जब राहु को अपनी भूल समझ में आ गई तो उसने भगवान शिव से क्षमा मांग ली।

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शिवजी ने उस जीव को इस बार आदेश दिया कि वो राहु को न खाए। भयानक जीव ने महादेव से कहा, मेरा जन्म खाने के लिए हुआ है, मैं अब किसे खाऊँ? शिवजी ने उत्तर दिया, तुम स्वयं को खा जाओ। शिवजी के इस आदेश पर वह जीव अपने पूरे शरीर को खा गया। उसने शिवजी से फिर पूछा, अब क्या खाऊँ? इस पर शिवजी उससे प्रसन्न हो गए और उसे कीर्तिमुख नाम दिया। अब वह महादेव का सबसे प्रिय गण बनाया।

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शुभदायक होता कीर्तिमुख

कीर्तमुख को वैभव के प्रतीक के रूप में देखा जाने लगा। महादेव ने उसे वरदान दिया कि तुम हर किसी का लालच, उसका छल-कपट और उसकी गलत भावनाओं को खा जाओगे। यही कारण है कि कीर्तिमुख की आकृति हमें घर एवं मंदिर जगहों पर टंगी दिखाई देती है। इसे नजर बट्टू की तरह इस्तेमाल किया जाता है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास कभी नहीं होता है।

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