चार मोर्चों पर घिर गया पाकिस्तान

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जिस आतंकवाद के सहारे पाकिस्तान भारत को बर्बाद करना चाहता था, आज वही आतंकवाद उसकी बर्बादी का काम कर रहा है। भारत ने तो आतंकवाद को काबू में कर लिया लेकिन पाकिस्तान आतंकवाद को कभी काबू नहीं कर सकेगा। पाकिस्तान अपने ही बनाए जाल में फंसता जा रहा है लेकिन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। भारत को तोड़ने का सपना देखने वाले पाकिस्तान का टूटना तय लग रहा है।

कहा जाता है कि जब आप शेर को काबू नहीं कर सकते तो उसकी सवारी भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि मौका मिलने पर वही शेर आपको खा जाता है जिसके ऊपर आप बैठे होते हो। पाकिस्तान की आज बिलकुल ऐसी ही हालत है। उसने जिस तालिबान को पाल-पोस कर बड़ा किया ताकि उस पर सवारी कर सके, वही तालिबान उसे निगलने की कोशिश कर रहा है। 2001 से पहले पाकिस्तान ने इस तालिबान का मनचाहा इस्तेमाल किया लेकिन 2021 वाला तालिबान उसके लिए घातक साबित हो रहा है।

जब यह तालिबान सत्ता में आया, तो पाकिस्तान के कुछ नेताओं का कहना था कि तालिबान उनको भारत से कश्मीर लाकर देगा। दूसरी बात सत्ता में आए तालिबान की सहायता से पाकिस्तान भारत में बड़े पैमाने पर आतंकवादी कार्यवाही करने की साजिश कर रहा था। पाकिस्तान तालिबान को इस्तेमाल करके अफगानिस्तान की धरती को आतंक का गढ़ बनाना चाहता था। वास्तव में पिछली बार तालिबान के राज में अफगानिस्तान आतंकवादियों का स्वर्ग बन गया था। पाकिस्तान की कोशिश थी कि वो इस बार भी तालिबान का ऐसा ही इस्तेमाल करेगा।

पाकिस्तान की रणनीति: भारत विरोध और आतंकवाद फैक्ट्री

पाकिस्तान अपने जन्म से ही भारत को अपना दुश्मन मान चुका है और उसे तबाह करने की कोशिश में लगा रहता है। भारत के साथ वो चार युद्ध लड़कर हार चुका है, लेकिन उसकी दुश्मनी की भावना में कोई कमी नहीं आई है। 1971 का युद्ध हारने के बाद पाकिस्तान को अहसास हो गया था कि वो भारत से युद्ध में कभी नहीं जीत सकता। इसके बाद उसने भारत को आतंकवाद के जरिए बर्बाद करने की साजिश शुरू कर दी।

भारत को बर्बाद करने के लिए पहले वो अमेरिका की गोद में बैठा हुआ था और बाद में उसने चीन को भी अपना नया मालिक बना लिया। पाकिस्तान ने भारत को बर्बाद करने के लिए कट्टरवाद को जबरदस्त बढ़ावा दिया ताकि युवाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें आतंकवादी बनाया जा सके। इसके लिए उसने अपने देश के साथ-साथ कश्मीर के युवाओं का इस्तेमाल भी किया। पाकिस्तान ने आतंक की एक बड़ी फैक्ट्री खोल दी, जिसने लाखों आतंकवादी पैदा किये और पूरे पाकिस्तान को आतंकवादियों का घर बना दिया। आज वही आतंकवादी उसके लिए बड़ी समस्या बन गए हैं ।

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चार दिशाओं से घिरा पाकिस्तान, बढ़ती अस्थिरता

पाकिस्तान अपनी नीतियों के कारण आज चार मोर्चों पर लड़ने को मजबूर है। सबसे बड़ा मोर्चा उसके खिलाफ भारत ने खोला हुआ है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोबारा कभी भी हमला कर सकता है। भारत ने घोषणा की हुई है कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, सिर्फ उसे रोका गया है, यह जरूरत पड़ने पर कभी भी शुरू हो सकता है। दूसरा मोर्चा उसके खिलाफ बलूचिस्तान में खुला हुआ है, बलोच विद्रोही उसकी सेना पर लगातार हमले कर रहे हैं।

बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सेना पर आत्मघाती हमले कर रहे हैं, जिनसे बचना पाकिस्तानी सेना के लिए बहुत मुश्किल हो रहा है। तीसरा मोर्चा उसके खिलाफ पीओके में खुल गया है। उसने आजाद कश्मीर का शोर मचाकर वहां जनता को बहुत मूर्ख बनाया है। उसने पीओके के संसाधनों का इस्तेमाल पंजाब सूबे के लिए किया, लेकिन कश्मीरियों को कुछ नहीं दिया। एक तरफ अपने दुष्प्रचार से पाकिस्तान भारतीय कश्मीर की जनता को भड़काता रहा है कि तुम गुलाम हो, दूसरी तरफ वो पीओके की जनता को इस्लामाबाद से नियंत्रित करता रहा है।

आज पीओके की जनता पाकिस्तान के खिलाफ खड़ी हो गई है, लेकिन उसने सेना के बल पर उसे काबू किया हुआ है। चौथा मोर्चा पाकिस्तान के पाकिस्तानी तालिबान और अफगानी तालिबान ने मिलकर खोला हुआ है। आज इस मोर्चे पर पाकिस्तान सबसे ज्यादा फंसा हुआ महसूस कर रहा है। तहरीक-ए-तालिबान, जिसे टीटीपी कहा जाता है, पाकिस्तान पर भयंकर आतंकवादी हमले कर रहा है और अफगानी तालिबान की उसे पूरी मदद मिल रही है। पाकिस्तान इसे अच्छी तरह जानता है, इसलिए उसने टीटीपी के एक आतंकवादी हमले के जवाब में अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर दी है।

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हर तरफ से घिरा पाकिस्तान, बढ़ता आंतरिक संकट

इस एयर स्ट्राइक के जवाब में तालिबान ने पाकिस्तान पर बड़ा हमला करके उसके दर्जनों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है। तालिबान पाकिस्तान के सैनिकों को पकड़कर अफगानिस्तान ले गया है। पाकिस्तान की दर्जनों चौकियों पर तालिबान के लड़ाकों ने कब्जा कर लिया है। तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ पूरा युद्ध छेड़ने की धमकी दे रहा है। किस्तान को समझ नहीं आ रहा है कि वो किस-किससे लड़े। सब तरफ से उस पर हमले हो रहे हैं।

पिछले महीने ही उसने सऊदी अरब से रक्षा समझौता किया है लेकिन इस युद्ध में उसे सऊदी से कोई मदद नहीं मिल रही है। अमेरिका की गोद में जाने से चीन भी पाकिस्तान से नाराज है, इसलिए वहां से भी उसे मदद मिलने की उम्मीद नहीं है ।
पाकिस्तान आज दोहरे संकट का सामना कर रहा है। एक तरफ उसे बलूच विद्रोहियों, टीटीपी और पीओके के अंदरूनी हमलों से निपटना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ भारत और अफगानिस्तान से बड़े हमले का डर सता रहा है।

वैसे देखा जाए तो इन हालातों के लिए पाकिस्तान खुद ही जिम्मेदार है। उसकी नीतियों और कारनामों ने आज ये हालात पैदा कर दिये हैं। भारत के साथ उसके रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे लेकिन मोदी सरकार आने के बाद संवाद भी खत्म हो गया है। भारत ने पाकिस्तान से सिर्फ नाममात्र के रिश्ते रखे हुए हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार खत्म हो चुका है, जिसकी बड़ी कीमत पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चुका रही है। ईरान के साथ भी पाकिस्तान के अच्छे रिश्ते नहीं हैं क्योंकि पाकिस्तान अमेरिका का पिट्ठू बना हुआ है। भारत ने आतंकवादी हमले को सैन्य हमला मानने की नीति की घोषणा कर दी है।

भारत-अफगान निकटता से पाकिस्तान की बढ़ती मुश्किलें

भारत पर अगला आतंकवादी हमला पाकिस्तान की बर्बादी ला सकता है। समस्या यह है कि पाकिस्तान आतंकवाद की नीति का त्याग करने को तैयार नहीं है। भारत ने जिन आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर दिया था, पाकिस्तान ने उन्हें दोबारा बनाना शुरू कर दिया है। आईएसआई ने इस्लामिक स्टेट का लश्कर-ए-तैयबा से गठबंधन करवा दिया है। अगर ये दोनों मिलकर भारत पर बड़ा आतंकवादी हमला करते हैं तो पाकिस्तान को बड़े युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।

2021 में जब तालिबान सत्ता में आया था तो पाकिस्तान को लगा कि तालिबान उसकी मुट्ठी में है और वो उनका मनचाहा इस्तेमाल करेगा। पर तालिबान ने पाकिस्तान से दूरी बना ली है और भारत से मित्रता की कोशिश कर रहा है। 9-15 अक्तूबर को तालिबान के विदेश मंत्री भारत का दौरा करके गए हैं। वास्तव में तालिबान यह नहीं भूला है कि 9/11 के हमले के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ मिलकर उसे पूरी तरह बर्बाद कर दिया था।

तालिबान पाकिस्तान को एक धोखेबाज देश के रूप में देखता है। वो पाकिस्तान पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। तालिबान अफगानिस्तान में भारत के कार्यों की प्रशंसा कर रहा है और वो चाहता है कि भारत अपने कार्यों को पूरा करे। भारत भी अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे को तैयार करने के काम में जुट गया है। भारत के कारण तालिबान और पाकिस्तान की दुश्मनी बढ़ती जा रही है और इसके लिए पाकिस्तान ही जिम्मेदार है।

पाकिस्तान में बढ़ता विद्रोह और आंतरिक अस्थिरता

टीटीपी के कारण भी तालिबान और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। टीटीपी चाहता है कि पाकिस्तान खैबर पख्तूनख्वा को अफगानिस्तान के लिए छोड़ दे ताकि पख्तून आबादी पूरी तरह से अफगानिस्तान का हिस्सा बन जाये। अफ़गानी तालिबान भी यही चाहता है, इसलिए टीटीपी को उसकी पूरी मदद मिल रही है। पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में सक्रिय विद्रोही संगठन पाकिस्तान पर आत्मघाती हमले कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा किया हुआ है।

-राजेश कुमार पासी
-राजेश कुमार पासी

पाकिस्तान बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का जबरदस्त दोहन कर रहा है लेकिन इसका फायदा बलूचों को नहीं हो रहा है। इससे पाकिस्तान के प्रति बलूचों में नफरत बढ़ती जा रही है। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना बलूचों का उत्पीड़न कर रही है, जिसके कारण उन्होंने सेना के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं। बलूच विद्रोही चीन द्वारा निर्मित गवादर बंदरगाह पर भी हमले कर रहे हैं ताकि चीन वहां से चला जाए। बलूच गवादर बंदरगाह का इस्तेमाल अपने हितों के खिलाफ मानते हैं। भारतीय कश्मीर का विकास और शांति देखकर पीओके की जनता पाकिस्तान के खिलाफ खड़ी हो गई है। उसे लगता है कि पाकिस्तान उन्हें मूर्ख बना रहा है। पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर भारत को दो मोर्चों पर घेरने की तैयारी कर रहा था लेकिन धीरे-धीरे चीन भी उससे दूर जा रहा है।

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