शर्जील इमाम ने बिहार विधानसभा चुनाव से नाम वापस लिया


नई दिल्ली/पटना: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र और राजनीतिक बंदी शर्जील इमाम ने 17 अक्तूबर को घोषणा की कि वह 2025 बिहार विधानसभा चुनाव से अपना नाम वापस ले रहे हैं।
जेल से जारी एक बयान में इमाम ने कहा,
“हम, मेरी टीम और मैं, ने फैसला किया है कि हम बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नहीं लड़ेंगे। इस फैसले का मुख्य कारण यह है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने मेरी जमानत याचिका खारिज कर दी थी (2 सितंबर 2025), और हमने तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अपील की (9 सितंबर 2025), लेकिन हमें अंतरिम राहत नहीं मिल सकी।”
चुनाव प्रक्रिया के दौरान उनकी जमानत अक्टूबर के अंत तक टली हुई है और उम्मीद है कि वे चुनाव के समय तक रिहा हो सकते हैं। इससे पहले, इमाम ने दिल्ली की एक अदालत से किशनगंज जिले के बहादुरगंज सीट से चुनाव लड़ने के लिए दो सप्ताह की अंतरिम जमानत की मांग की थी।
“हम पारंपरिक राजनेता नहीं हैं”: शर्जील इमाम
बयान में इमाम ने कहा कि वे और उनकी टीम “पारंपरिक राजनेता” नहीं हैं, बल्कि
“एक नए लोकतांत्रिक संदेश के वाहक हैं”, जो वंचित तबकों के लिए संरचनात्मक बदलावों की बात करता है एक ऐसा विमर्श जो भारत की मुख्यधारा की राजनीति में मौजूद नहीं है। उन्होंने दावा किया कि “नव उदयमान राजनीतिक वर्ग” के कुछ प्रतिनिधियों में से एक होने के नाते यह उनका कर्तव्य है कि वे इस लोकतांत्रिक संदेश को आम जनता तक पहुँचाएँ। लेकिन कोर्ट द्वारा बार-बार ज़मानत में देरी के चलते उन्होंने चुनाव से पूरी तरह हटने का निर्णय लिया।
“राज्य ने हमारे रास्ते में अड़चनें खड़ी कर दी हैं, और मैं अपने क्षेत्र में जाकर चुनाव प्रचार और आम लोगों से संवाद नहीं कर पाऊँगा,” उनके बयान में कहा गया।
राजनीतिक बंदी के रूप में ‘कठोर प्रतिबंध’
इमाम ने यह भी उल्लेख किया कि वह एक राजनीतिक बंदी के रूप में “कठोर प्रतिबंधों” का सामना कर रहे हैं, जिससे बाहरी दुनिया से संपर्क में बड़ी बाधा आई है। उन्होंने कहा कि एक महीना चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने आगे कहा:
“हमारी प्राथमिक ज़िम्मेदारी अपने उस संदेश को फैलाना है जो संरचनात्मक परिवर्तन की बात करता है जैसे कि विकेंद्रीकरण, आनुपातिक प्रतिनिधित्व की चुनाव प्रणाली, जाति समूहों में अल्पसंख्यकों को आरक्षण, धार्मिक स्वायत्तता आदि। हम इसी दिशा में काम करते रहेंगे। हमें उन लोगों को मजबूर करना होगा जो हमसे वोट मांगते हैं कि वे इन बुनियादी मुद्दों पर जवाब दें।”
इमाम ने अंत में अपनी टीम और बहादुरगंज के लोगों का धन्यवाद किया
“जिन्होंने हमारे साथ काम किया, समर्थन और सहानुभूति व्यक्त की।”
साथ ही उन्होंने देशभर के उन लोगों का आभार जताया जिन्होंने उनके साथ एकजुटता दिखाई।
जनवरी 2020 से जेल में बंद हैं इमाम
बिहार के जहानाबाद ज़िले के काको गाँव निवासी शर्जील इमाम जनवरी 2020 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं और अब तक पांच साल से अधिक समय से ट्रायल से पहले की हिरासत में हैं।
हालांकि उन्हें कुछ अन्य मामलों में ज़मानत मिल चुकी है, लेकिन वह अब भी जेल में हैं क्योंकि दिल्ली दंगों की साज़िश से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) लगाया है। यह मामला नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन से जुड़ा है।
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