Jain Philosophy
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प्रवचन
आत्मा के कल्याण के लिए विनय गुण आवश्यक : डॉ. सुमंगलप्रभाजी
हैदराबाद, श्रद्धा व विश्वास के साथ नमस्कार महामंत्र पढ़ने से विनय गुण प्रकट होता है। आत्म कल्याण के लिए विनयवान…
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प्रवचन
आज के युग की सबसे विद्वान साध्वी गणिनि शिरोमणि आर्यिका साध्वी ज्ञानमती
शरद पूर्णिमा के चंद्र से अमृत बरसता है, उसी अमृत के रूप में 22 अक्तूबर, 1934 को उत्तरप्रदेश के बाराबंकी…
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प्रवचन
सम्यक् दर्शन आत्मोन्नति की प्रथम सीढ़ी : भाग्यचंद्र विजयजी
हैदराबाद, जीवात्मा को जब सम्यक् दर्शन होता है, उसकी निराशाजनक अंधकारमयी अवस्था में आशा का दीप जलाता है, रास्ता स्पष्ट…
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प्रवचन
निर्वाण की अवस्था है सिद्ध पद : भाग्यचंद्र विजयजी
हैदराबाद, जैन धर्म में सिद्ध पद मोक्ष या निर्वाण की अवस्था है, जिसे प्राप्त करने पर आत्मा सभी कर्मों से…
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हमारा शहर
उत्तिष्ठ भाव से दिया दान होता है फलित : विनयश्रीजी
हैदराबाद, जीवन में दान की महत्ता बहुत ही बड़ी है। जो व्यक्ति उत्कृष्ट भाव से दान करता है, वह अनंत…
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