कार्तिक में करें स्नान व तुलसी पूजा

कार्तिक मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान विष्णु लंबी योग निद्रा से जागते हैं। इसलिए इस मास को सबसे पुण्यकारी माना गया है। इस महीने में सूर्योदय से पूर्व तुलसी पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास में जप-तप और पूजा-पाठ करने से भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
मास के नियम
कार्तिक मास में कार्तिक-स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में नित्य स्नान से कल्याण की प्राप्ति होती है।
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मदनपारिजात में लिखा है
कार्तिकं सकलं मासं नित्यस्यनायी जितेंद्रिय:।
जपन् हविष्यभुक्छान्त: सर्वपापै: प्रमुच्यते।।

अर्थात – कार्तिक मास में जो जितेंद्रिय रहकर नित्य स्नान करता है और जो व्यक्ति गेहूं, मूंग, दूध, दही एवं घी आदि से बनी चीजों का दिन में एक बार सेवन करता है, तो उसके सारे पाप दूर हो जाते हैं।
- कार्तिक मास में स्नान के लिए किसी पवित्र में स्नान करना सबसे शुभ माना गया है या आप किसी साफ तालाब व कुएं आदि से पानी लेकर भी स्नान कर सकते हैं। यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो घर में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर
सकते हैं। - कार्तिक मास में जो व्यक्ति सुबह जल्दी उठकर कार्तिक स्नान करता है, भगवान के भजन गाता है और पूरे महीने सात्विक भोजन करता है, उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त होती है। इस महीने भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक मास में पीपल के वफक्ष व तुलसी आदि के समक्ष दीप-प्रज्वलित करना बहुत ही शुभ माना गया है। कार्तिक मास में तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है। इसलिए पूरे माह रोज सुबह-शाम तुलसी में घी का दीपक जलाना चाहिए।
- कार्तिक मास में किसी जरूरतमंद को चावल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से चंद्रदोष दूर होता है। कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में है तो यह कार्य शुभ फल प्रदान करता है।
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